मजफ्फरपुर : या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जिलाधिकारी के नर्देशानुसार तथा कोरोना प्रोटोकॉल को मद्देनजर रखते हुए शहर में सरस्वती पूजा मनाई गई। शहर के विभिन्न जगहों पर जैसे श्यामा काली मंदिर, एकता मिलन सरस्वती पूजा समिति, नीलकंठ मंदिर, कलमबाग चौक आदि माता की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की।जिलाधिकारी के नर्देशानुसार तथा कोरोना प्रोटोकॉल को मद्देनजर रखते हुए शहर में सरस्वती पूजा मनाई गई। शहर के विभिन्न जगहों पर जैसे श्यामा काली मंदिर, एकता मिलन सरस्वती पूजा समिति, नीलकंठ मंदिर, कलमबाग चौक आदि माता की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। वसंत पंचमी के अवसर पर विशेषकर स्कूलों में ज्ञान, वाणी एवं कला की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। सरस्वती वंदना, मंत्र, जाप एवं आरती से मां शारदा को प्रसन्न किया जाता है।सरस्वती पूजा से जुड़ी एक कथा है, जिसमें मां सरस्वती के प्रकाट्य होने का वर्णन मिलता है। सरस्वती पूजा के समय इस कथा का श्रवण करने से मां शारदा प्रसन्न होती हैं, ज्ञान, बुद्धि में वृद्धि के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।मां सरस्वती का प्रकाट्य माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था, इस वजह से हर साल सरस्वती पूजा होती है। इस तिथि को वसंत पंचमी और श्री पंचमी भी कहते हैं।मां सरस्वती को मां शारदा, भगवती, वीणावादनी, वाग्देवी, बागीश्वर आदि नामों से पुकारते हैं। उनको पीला रंग प्रिय है, इसलिए वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले रंग की मिठाई आदि चढ़ाते हैं।
Be First to Comment