कल यानी 10 मार्च, गुरुवार से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। होली से पहले 8 दिनों तक होलाष्टक रहता है। होलाष्टक को अशु’भ माना जाता है। इसलिए इन 8 दिनों में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस साल होलाष्टक 10-17 मार्च 2022 तक रहेंगे। इसके बाद होलिका दहन और इसके अगले दिन होली खेली जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, होलाष्टक के दौरान भगवान कृष्ण की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य व नया काम शुरू करना वर्जि’त माना जाता है।होलाष्टक के दौरान भगवान की पूजा व अराधना करने का विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान के भक्त को क’ष्ट सहना पड़ता है। इस दौरान मंत्रों का जाप, यज्ञ, वैदिक अनुष्ठान करना लाभकारी माना गया है। मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से क’ष्टों से मुक्ति मिलती है।
शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों की मना’ही होती है। क्योंकि इस अवधि में भगवान विष्णु के भक्त प्रहृलाद को तरह-तरह के क’ष्ट मिले थे। ऐसे में होलाष्टक के दौरान गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर रो’क होती है। इसके अलावा गोद भराई, सगाई आदि भी होलाष्टक के दौरान नहीं करनी चाहिए।
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को भगवान श्रीहरि की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिनों तक कठि’न यात’नाएं दी थीं। आठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वरदान प्राप्त था, वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे।
कहते हैं कि देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। तब भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भ’स्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अप’राध के लिए शिवजी से क्ष’मा मांगी, तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।
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