बदलती जीवनशैली ने शारीरिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है। खानपान में असंतुलन का नतीजा अधिक वजन और मोटापे के रूप में सामने आ रहा है। डब्ल्यूएचओ व्के आंकड़ों की मानें, तो दुनिया के प्रति आठ में से एक व्यक्ति मोटापे की गिरफ्त में है। भारत भी इस समस्या से अछूता नहीं है।

पिछले 10 वर्षों में भारत में मोटापे की दर लगभग तीन गुना हो गयी है। इसका असर देश की शहरी और ग्रामीण दोनों जनसंख्या पर पड़ रहा है। मोटापे का वैश्विक संकट हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहा है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में मोटापे की दर अधिक है। देश में 10 करोड़ से अधिक लोग मोटापे से जूझ रहे हैं। इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि अपने देश में पेट के मोटापे की समस्या कहीं अधिक बढ़ रही है।

आंकड़ों के अनुसार, भारत में पहले से ही 14 लाख से अधिक बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं। देश में बच्चों में बढ़ते मोटापे के प्राथमिक कारणों में खानपान की खराब आदतें, शारीरिक गतिविधियों में कमी और सुस्त जीवनशैली शामिल हैं। प्रोसेस्ड स्नैक्स और फास्ट फूड के बढ़ते चलन के कारण बच्चे उच्च कैलोरी, कम पोषक तत्वों वाले आहार का सेवन कर रहे हैं, जो वजन बढ़ने और मोटापे का कारण बन रहा है।



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