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अब इस भाषा पर दिया जा रहा है जोर

ओडिशा के सरकारी और निजी स्कूलों में हिंदी कई वर्षों से पढ़ाई जा रही है। सरकारी स्कूलों में छात्र ओड़िया और अंग्रेजी के बाद तीसरी भाषा के रूप में हिंदी चुनते हैं। कुछ CBSE स्कूलों में हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में लेने का विकल्प भी दिया जाता है, जिससे ओड़िया तीसरे स्थान पर चली जाती है। कई माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे हिंदी में निपुण हों, ताकि उन्हें उत्तर भारत में उच्च शिक्षा या नौकरियों में कठिनाई न हो।


युवा पीढ़ी हिंदी शब्दों, वाक्यांशों और मुहावरों का अधिक उपयोग कर रही है।ओड़िया फिल्मों के संवादों और गीतों में भी हिंदी का प्रभाव बढ़ रहा है। ‘भात’ (चावल) को ‘भाटा’ कहा जाता है, लेकिन हिंदी के प्रभाव से यह उच्चारण बदल रहा है।

हिंदी से लिए गए शब्दों के कारण ‘हलंत’ (अक्षर के अंत में स्वर की कमी) का प्रयोग बढ़ रहा है। उदाहरण: ‘विकसित’ शब्द, ओड़िया में ‘बिकासिता’ होता है, लेकिन अब लोग इसे ‘बिक्सित’ कहने लगे हैं। इसी तरह, ‘भुवनेश्वर’ को ‘भुवनेश्वार’ उच्चारित किया जा रहा है।

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