पटना: केके पाठक और शिक्षा विभाग के तरफ से अब एक और नया आदेश जारी किया गया है। यह आदेश वैसे तो टीचरों से जुड़ा हुआ नहीं है लेकिन इसके बाबजूद किसी न किसी तरीके से इस आदेश पर उन्हें नजर जमानी होगी। अब पाठक ने सरकारी स्कूलों में नियम बदल दिया है। अब एक खास काम के लिए बच्चों को पैसे नहीं मिलेंगे।
दरअसल, वर्तमान में सूबे के सभी सरकारी स्कूलों में एक से 12वीं तक के बच्चों को स्कूल ड्रेस के लिए खाते में पैसे मिलते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा अब स्कूली बच्चों को सीधे सिली-सिलाई पोशाक दी जाएगी। सत्र 2024-25 के लिए शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए निविदा प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इससे पहले ड्रेस के पैसे बच्चों के अभिवावक के खाते में डाला जाता था।
जानकारी के अनुसार, विभाग की ओर से जेम्स पोर्टल पर सबमिशन व टेक्निकल बिड की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। शीघ्र ही विभाग की ओर से वित्तीय बिड खोलकर एजेंसी तय की जाएगी। इसके बाद ही मानक के अनुसार पोशाक उपलब्ध कराने को एंजेंसियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। विभाग की ओर से पहले कक्षा एक से 12वीं के विद्यार्थियों को 600 से 1500 रुपये वर्ष में दिए जाते थे। शिक्षा विभाग की समीक्षा में पाया गया कि पोशाक के लिए दी जाने वाली राशि अभिभावक किसी अन्य मद में खर्च कर दे रहे हैं। इसके बाद अब यह आदेश जारी किया गया है।
शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) के साथ ऑनलाइन बैठक की गई। जिसमें पदाधिकारियों को सभी विद्यार्थियों को पोशाक मिलना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। पोशाक वितरण के लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था तैयार करने की जिम्मेदारी अधिकारियों को दी गई है। शिक्षा विभाग ठंड के मौसम में विद्यालय की पोशाक के साथ स्वेटर व गर्म टोपी भी उपलब्ध कराएगा। इसके अतिरिक्त दो जोड़ी मोजा तथा एक जोड़ी जूते भी दिए जाएंगे। सरकार ने विद्यालयों में पढ़ रहे लगभग एक करोड़ 61 लाख विद्यार्थियों को यह सामग्री उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थियों के लिए उनकी माप के अनुसार पोशाक मिलेगा
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