पटना: राजभवन में आठ मार्च को उपमुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की मौजूदगी में हुई बातचीत के बात माना जा रहा था कि विश्वविद्यालयों को लेकर चल रहा विवाद थम जाएगा। लेकिन गुरुवार को राजभवन और शिक्षा विभाग से जारी अलग-अलग पत्र बता रहे हैं कि विवाद और गहराता जा रहा है। राजभवन ने 15 मार्च को विभाग द्वारा बुलायी गयी बैठक में कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों के शामिल होने पर रोक लगा दी है।
दूसरी ओर, विभाग ने कुलसचिवों को पत्र भेजकर 15 मार्च की बैठक में अतिरिक्त एजेंडे जोड़ दिये हैं। इनमें छात्रों के नामांकन, बैंक खातों का संधारण आदि शामिल हैं। लंबित परीक्षा की समीक्षा का मुद्दा पहले से तय है। पिछले 15 दिनों में यह चौथी बार है कि विभाग की बैठक में कुलपतियों के जाने पर राजभवन ने रोक लगायी है।इससे पहले 28 फरवरी और दो मार्च को विभाग में बैठक बुलायी गयी थी। वहीं, दो और तीन मार्च को विभाग ने चाणक्या विधि राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सभी कुलपतियों और विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए बुलाया था। इन सभी बैठकों-प्रशिक्षण में भाग लेने पर राजभवन ने रोक लगायी थी। मालूम हो कि 28 फरवरी को विभाग की बैठक में कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों के शामिल नहीं होने के बाद इन सभी के वेतन पर रोक लगा दी गयी थी। इसके बाद छह मार्च को विभाग ने वेतन और खातों के संचालन पर लगी रोक को सशर्त हटाया था।
वहीं, राजभवन ने 11 मार्च को शिक्षा विभाग से जवाब-तलब किया था कि उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में लिये गये निर्णय के अनुसार अभी तक 28 फरवरी के आदेश को वापस लेने की जानकारी क्यों नहीं दी गयी? इसको लेकर राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ड एल चोंग्थू ने सोमवार को विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पत्र लिखा है।
राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की 20 मार्च को बैठक बुलायी है। इसको लेकर गुरुवार को राज्यपाल सचिवालय की ओर से पत्र भेजा गया। इसकी प्रतिलिपि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को भी भेजा गया है और उन्हें इस बैठक में शामिल होने का आग्रह किया गया है। राजभवन ने कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा है कि जिन विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, उसकी सूची 18 तक उपलब्ध कराएं।
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