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बिहार-यूपी में कोरोना वायरस के तेज़ी से बढ़ रहे हैं मामले, लेकिन क्या ठीक होने की दर भी है ज़्यादा ?

देश में जनसंख्या के हिसाब से सबसे ज़्यादा बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार में कोरोना वायरस की धीमी जांच सबके लिए चिंताका कारण बनी हुई है.

ख़ासतौर पर इसलिए भी क्योंकि सबसे ज़्यादा प्रवासी मज़दूर भी इन्हीं राज्यों से आते हैं जो लॉकडाउन शुरू होने के बाद अपने गांवपहुंचने लगे और इनमें से बहुत लोगों की कोरोना की रिपोर्ट पॉज़िटिव भी आने लगी.

बिहार और उत्तर प्रदेश में जांच की दर दूसरे राज्यों की तुलना में कम होने की वजह से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने दोनों ही राज्योंको इसे बढ़ाने के निर्देश जारी किये हैं.

गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉन्फ़्रेसिंग के ज़रिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि अबराज्य को टेस्ट करने की दर को और भी ज़्यादा बढ़ाना होगा. वहीं, बिहार में गुरुवार को ही कोरोना वायरस के एक दिन के सबसेज़्यादा मामले दर्ज किये गए.

सरकार के स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार इस महामारी से मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है. दस हज़ार से भी ज़्यादा लोगअब तक इस महामारी की चपेट में आये हैं.

बिहार में क्या है सूरते हाल?

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अकेले राजधानी पटना में कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी देखी गयी है. जहाँ अब तक 18 कन्टेनमेंट ज़ोन बनाए गए हैं.

सिर्फ़ राजधानी में ही इस माहामारी से मरने वालों की संख्या 10 बताई जा रही है.

सिपारा, फ़ुलवारी शरीफ़, डीघा, गोला रोड, कंकरबाग़ और बोरिंग रोड जैसे इलाकों में 30 के आसपास पॉज़िटिव केस मिले हैं.

बिहार के सभी 38 ज़िलों में कोरोना वायरस के पॉज़िटिव मामले मिले हैं. लेकिन जिन जिलों में स्थिति चिंताजनक है, उनमें सिवान, बेगूसराय, मधुबनी और भागलपुर शामिल हैं.

अधिकारियों का कहना है कि दस हज़ार से ज़्यादा मिले पॉज़िटिव मामलों में प्रवासी मज़दूर ज़्यादा हैं.

कितने लोगों की हो रही है जांच

बिहार में जांच की दर मौजूदा वक़्त में दस लाख व्यक्तियों में से 1767 की ही जांच हो रही है जो पूरे पूर्वी भारत में सबसे निम्न स्तरपर है. इसी वजह से सबकी चिंता भी बढ़ रही है.

बिहार से अलग हुए झारखंड राज्य में भी दस लाख लोगों में से हर रोज़ लगभग 3566 की जांच हो रही है. उत्तर प्रदेश में भी 2841 लोगों की जांच प्रतिदिन हो रही है.

लेकिन बिहार सरकार के अधिकारियों का कहना है इन सब के बीच अच्छी बात ये है कि राज्य में महामारी की मृत्यु दर सिर्फ 0.7 प्रतिशत दर्ज की गई है जबकि संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर 78 प्रतिशत है जो कि सबसे ज़्यादा है.

हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि सही से जांच नहीं हो रही है. अगर जांच बढ़ेगी तो और भी ज़्यादा लोगों केसंक्रमित पाए जाने की आशंका है.

बुधवार को विभिन्न विभागों के अधिकारियों और मंत्रियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हर रोज़ 15 हज़ारटेस्ट किये जाने चाहिये और इनको धीरेधीरे और भी ज़्यादा बढ़ाए जाने की ज़रूरत है.

28000 से अधिक लोगों पर सिर्फ़ एक एलोपैथी डॉक्टर

बिहार में विधानसभा के चुनाव जल्द होने वाले हैं और उसको लेकर भी राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गयी है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि ये और भी ज़्यादा खतरनाक हो सकता है क्योंकि ऐसे में सामाजिक दूरी बनाए रखनामुमकिन नहीं हो पायेगा. इसीलिए बिहार में एक मंत्री और दो विधायक भी संक्रमित पाए गए हैं.

बिहार को लेकर सबकी चिंताएं इसलिए भी हैं क्योंकि अगर वर्ष 2018 के नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल पर नज़र डालें तो 28391 लोगों परमात्र एक ही एलोपैथी का डॉक्टर है जबकि 8645 लोगों पर एक अस्पताल का बेड है. सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहलेसे ही बदहाल हैं.

लेकिन बिहार के स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह को नहीं लगता कि अभी घबराने की कोई ज़रूरत है क्योंकि उनके अनुसार टेस्टकरने की दर दिनदिन बढ़ाई जा रही है और संक्रमण की दर भी बिहार में काफ़ी कम है.

बिहार में महामारी तब तेज़ी के साथ फैलनी शुरू हुई जब प्रवासी मज़दूर अपने गांवों को लौटने लगे. मगर अब इन मज़दूरों का आनारुका हुआ है.

इसलिए स्वास्थ्य विभाग अब स्थिति को नियंत्रण में ही बता रहा है. उनका कहना है कि फ़िलहाल सरकार का प्रयास है कि जांच कीसंख्या बढ़ाई जाए.

यूपी में भी हालात ठीक नहीं

लगभग 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस के 25 हज़ार के लगभग मामले हैं जबकि संक्रमण से मरने वालोंकी संख्या 700 से ऊपर है.

इस राज्य में भी सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है. लेकिन प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पूरे राज्य में इससंक्रमण से पीड़ित लोगों का इलाज मुफ़्त में करने का फै़सला पहले ही ले लिया था.

लेकिन जिस पैमाने पर संक्रमण के लिए जांच हो रही है वो अभी भी चिंता का विषय ही बना हुआ है. कोरोना के मामले उन जिलों मेंज़्यादा हैं जो दिल्ली से सटे हुए हैंजैसे गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर.

इसके अलावा भी बरेली, वाराणसी, आगरा और अलीगढ़ में भी स्थिति बहुत ज़्यादा अच्छी नहीं है. इसके अलावा राजधानी लखनऊ, कानपूर, मेरठ, मथुरा, गाज़ीपुर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह ज़िले गोरखपुर में भी कई मामले सामने आये हैं.

हालांकि, सिर्फ़ गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में संक्रमित लोगों का आंकड़ा 900 के पार है.

इसी वजह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात करते हुए प्रदेश में टेस्ट और ज़्यादाबढ़ाए जाने पर ज़ोर दिया.

सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश में बढ़ रहे मामलों के बीच उत्तर प्रदेश में भी संक्रमण से ठीक होने का प्रतिशत राष्ट्रीयऔसत से बेहतर है. यानी 69.36 प्रतिशत लोग संक्रमण से ठीक भी हो रहे हैं जो अच्छी बात है.

राज्य सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार अब तक कुल 17,221 लोग पूरी तरह से ठीक होकर अपने घरों को लौट गए हैं.

सरकारी अधिकारी कहते हैं कि शुरूआती दौर में संक्रमण दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में आयोजित तब्लीगी जमातमें शामिल लोगों और उनसे जुड़े लोगों के कारण तेज़ी से फैला. अधिकारी कहते हैं मगर इसके बाद प्रवासी मज़दूरों का घर लौटनाशुरू हुआ और इसके बाद फिर संक्रमण तेज़ी से फैलने लगा.

यूपी में कोरोना टेस्ट की स्थिति

अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट के ज़रिये समय रहते ही संक्रमित लोगों को चिन्हितकर उनका इलाज कराया जाए ताकि मृत्यु दर को कम किया जा सके.

उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव अमित प्रसाद के अनुसार सिर्फ़ बुधवार को ही पूरे प्रदेश में 24,890 टेस्ट किये गए.

उनका कहना था कि संक्रमण से घबराने की बात नहीं होनी चाहिए क्योंकि अगर किसी व्यक्ति में संक्रमण पाए जाते हैं तो उसकेमुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई है.

उनका कहना था कि छोटे से लेकर हर बड़े सरकारी अस्पताल में कोरोना की जांच की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा प्राथमिकचिकित्सा केन्द्रों में भी लोगों के लिएहेल्पडेस्कबनाए गए हैं ताकि लोग समय रहते ही अपनी जांच करा सकें.

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किये गए बयान में दावा किया गया कि पूरे प्रदेश में इस तरह केहेल्पडेस्ककी संख्यालगभग 6,500 हैं जहां पर जांच की व्यवस्था भी की गई है.

इन हेल्पडेस्क की वजह से ढाई हज़ार से भी ज़्यादा लोगों में संक्रमण का पता लगाने में मदद मिल पाई है.

कितने लोगों पर कितने डॉक्टर?

उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि पिछले एक दिन में लगभग 25 हज़ार टेस्ट किये गए जिसे जल्द बढ़ा कररोज़ाना तीस हज़ार के आसपास किया जाएगा और फिर केंद्रीय गृह मंत्री के सुझाव के अनुसार रैपिड एंटीजेन टेस्ट भी बड़े पैमाने परशुरू किए जा रहे हैं.

फिलहाल तो दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मज़दूरों को चिन्हित कर उनकी जांच के लिए पूरे प्रदेश में मुहिम चलाई जा रही है.

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ हेल्थ इंटेलिजेंस द्वारा जारी की जाने वाली नेशनल हेल्थ प्रोफाइल की वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेशमें 19 हज़ार लोगों पर सिर्फ़ एक एलोपैथी के डॉक्टर की व्यवस्था है.

देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल, महामारी के इस दौर में सरकार औरअधिकारियों के लिए भी चुनौतियों से भरा हुआ है.

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