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त्योहार में फूलों की मांग में वृद्धि, छठ पर्व में गेंदा फूल की रिकॉर्ड तोड़ सेल

लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ पर्व संपन्न हो गया। पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल के छठ घाटों को फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया था। अकेले पूर्णिया में छठ त्योहार में गेंदा फूल की बिक्री करीब 60 लाख रुपए की हुई। फूल की डिमांड अधिक होने से इससे जुड़े व्यवसायियों ने पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड से भी फूल लाकर बेचा। लॉकडाउन के बाद इसी साल गेंदा फूल की डिमांड काफी अधिक रही। फूलों की बंपर बिक्री के बाद व्यवसायियों के चेहरे खिल उठे हैं।

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फूलों की भारी डिमांड और बिक्री होने से इससे जुड़े किसान और व्यवसायी काफी गदगद हैं। जिले के बेलौरी, कालीघाट, महेंद्रपुर व मंझेली समेत आसपास के इलाके के किसान गेंदा, गुलाब और रातरानी के फूलों की खेती पिछले कई वर्षों से लगातार कर रहे हैं। लॉकडाउन के समय फूल की खेती से जुड़े किसान को मायूसी झेलनी पड़ी थी। इस वर्ष फूलों की डिमांड काफी अधिक रहने से इन किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। अकेले जिला मुख्यालय में 44 की संख्या में फूलों की दुकान है।

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छठ घाट पर सजाने के लिए लोगों की पहली पसंद गेंदा का फूल ही होता है। लोग इसे आस्था से भी जोड़कर देखते हैं। गेंदा के फूल से छठ घाट को सजाने पर लोग प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। सुंदर और सुगंधित होने की वजह से छठ घाट की सुंदरता भी काफी अधिक बढ़ जाती है। छठ भी प्रकृति से जुड़ा हुआ पर्व है। इसलिए लोग छठ घाट पर गेंदा के फूल से ही सजाने को प्राथमिकता देते हैं। एक भी ऐसा छठ घाट नहीं होता है, जहां कम से कम एक भी लड़ी गेंदा का फूल नहीं लगा हो।गेंदा फूल के पौधे की रोपाई के 60 से 70 दिनों के अंदर ही फूल खिल जाता है, जो 90 से 100 दिनों तक प्राकृतिक रूप से सही रहता है। 1 एकड़ जमीन में फूल की खेती करने के बाद 15 से 20 लाख रुपए की कमाई एक वर्ष में होती है। गर्मी के सीजन के लिए जनवरी के महीने में फूल लगाए जाते हैं। अब सालों भर गेंदा फूल की खेती होती है। बेलौरी के रहने वाले फूल व्यवसायी बापी कुमार ने बताया कि इस वर्ष छठ का त्योहार थोड़ी देर से होने के कारण फूल की खेती प्रभावित हुई। उन्होंने बताया कि थोक में 180 से 220 से रुपये तक में 20 पीस गेंदा फूल की लड़ी बेची गई।

 

बड़े आकार के गेंदा फूल की लंबाई-चौड़ाई 7 से 8 सेंटीमीटर होती है। इनमें से कुछ बौने किस्म के भी होते हैं। इस इलाके में अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदा की खेती अधिक होती है। इसी नस्ल के फूल की डिमांड लोगों में अधिक होती है। गेंदा के फूल का उपयोग अब लोग शादी-विवाह एवं अन्य प्रयोजन में भी करने लगे हैं। साल भर गेंदा फूल सहज रूप से उपलब्ध हो जाने की वजह से इसकी खेती ने अब बड़ा व्यावसायिक रूप भी ले लिया है। खासकर पूर्णिया में फूलों की दुकान दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।

 

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