हिंदी फ़िल्म जगत की मशहूर कोरियोग्राफ़र सरोज ख़ान का 72 साल की उम्र में निधन हो गया है.
सरोज ख़ान पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थीं. 20 जून को साँस लेने की तकलीफ़ के बाद उन्हें मुंबई में बांद्रा स्थित गुरू नानकअस्पताल में भर्ती कराया गया था.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार वहीं कल देर रात उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ.
एएनआई ने ख़बर दी है कि सरोज ख़ान की अंत्येष्टि मुंबई के मलाड इलाक़े में मालवाणी क़ब्रिस्तान में होगी.
पिछले दिनों उनकी कोरोना संक्रमण की भी जाँच की गई थी मगर रिपोर्ट निगेटिव आई थी.
दिग्गज कोरियोग्राफ़र
सरोज ख़ान की गिनती भारत की फ़िल्म इंडस्ट्री के दिग्गज नृत्य निर्देशकों में होती है.
उन्होंने अपना करियर एक असिस्टेंट कोरियोग्राफ़र के तौर पर शुरू किया था. 1974 में फ़िल्म गीता मेरा नाम में उन्होंने पहली बारगानों को स्वतंत्र रूप से निर्देशित किया.
सरोज ख़ान ने 2000 से ज़्यादा गानों को कोरियोग्राफ़ किया.
उन्हें जिन गानों से प्रसिद्धि मिली उनमें तेज़ाब फ़िल्म का गाना एक–दो–तीन, देवदास का डोला रे डोला और जब वी मेट का गाना येइश्क हाय जैसे गाने शामिल हैं.
सरोज ख़ान की अंतिम फ़िल्म जो पर्दे पर आई वो थी कलंक जिसमें उन्होंने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के गाने तबाह हो गई कोनिर्देशित किया था.
उन्हें तीन बार बेस्ट कोरियोग्राफ़ी का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. नेशनल अवॉर्ड उन्हें फ़िल्म देवदास और जब वी मेट के अलावातमिल फ़िल्म श्रृंगारम के लिए मिला.
हाल के वर्षों में वो टीवी पर होने वाले डांस रियलिटी कार्यक्रमों में निर्णायक या जज के तौर पर हिस्सा लेती रही थीं. उन्हें टीवी परनच बलिए, झलक दिखला जा और नचले वे विद सरोज ख़ान जैसे कार्यक्रमों में देखा गया था.
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