पटना: बिहार में शिक्षा विभाग के एक्शन से स्कूली स्टूडेंट्स में हड़कंप मचा हुआ है। एसीएस केके पाठक के निर्देश के बाद राज्य में करीब 20 लाख स्कूली स्टूडेंट्स का नाम काटा जा चुका है। इसके बाद लगभग डेढ़ लाख छात्र-छात्राएं इस बार बोर्ड परीक्षाओं में बैठने पर भी खतरा मंडरा गया है। विभाग का कहना है कि सरकारी सुविधाओं और संसाधनों का लाभ योग्य एवं जरूरतमंद विद्यार्थियों को मिले, इसके चलते यह कार्रवाई की गई है। हालांकि, अब शिक्षक इसके खिलाफ उतर आए हैं। उन्होंने विभाग के इस एक्शन को शिक्षा के अधिकार के विरूद्ध बताया है।
जानकारी के मुताबिक बीते चार महीनों के भीतर राज्य के 20 लाख 87 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स का नाम स्कूल से काटा जा चुका है। ये बच्चे कक्षा एक से 12 तक के हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से करीब डेढ़ लाख स्टूडेंट्स मैट्रिक और इंटर के हैं। स्कूल से नामांकन रद्द होने के बाद अब इस सत्र में इनके बोर्ड परीक्षा में बैठने पर खतरा मंडरा गया है। अगर उनका नामांकन बहाल नहीं हुआ तो वे इंटर और मैट्रिक परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएंगे।
बता दें कि एसीएस केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से जुलाई महीने में ही सभी जिलों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए थे। विभाग के कहने पर स्कूलों में 30 दिन तक अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम काटा गया। बाद में यह अवधि घटाकर 15 दिन की गई। इसके बाद विभाग की ओर से नया आदेश जारी कर तीन दिन तक लगातार बिना सूचना के स्कूल से अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम काटने के लिए कहा गया। इसकी स्कूल से लेकर ब्लॉक, जिला एवं राज्य शिक्षा पदाधिकारी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बिहार में बहुत से बच्चे ऐसे हैं जिनके अभिभावकों ने सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए दोहरा नामांकन करा रखा है। उनका नाम सरकारी स्कूल में चल रहा है लेकिन वे यहां पढ़ने नहीं आते, सिर्फ सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। जबकि पढ़ाई वे निजी विद्यालयों में कर रहे हैं। विभाग ने ऐसे स्टूडेंट्स की पहचान करके उनका नामांकन रद्द करने की कार्रवाई की है।
Be First to Comment