पटना: अपर मुख्य सचिव केके पाठक बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए खुद स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। राज्य भर के स्कूलों में पहुंचकर उपस्थिति, पढ़ाई, लैब, शौचालय और सुविधाओं का जायजा ले रहे हैं। इस क्रम में वह सिर्फ टीचर पर ही नहीं बल्कि स्टूडेंट में अनुशासन पर भी सख्ती कर रहे हैं। सहरसा पहुंचे केके पाठक ने जिले के मनोहर हाई स्कूल के निरीक्षण के दौरान ड्रेस में नहीं आने पर छात्रों की क्लास लगाई। उन्होंने स्कूल ड्रेस पहनकर नहीं आने वाले बच्चों के नाम स्कूल से काटने का आदेश अधिकारियों को उसी समय दिया।
मनोहर हाई स्कूल में एक क्लास में पहुंचे केके पाठक ने इस बात आश्चर्य और आपत्ति जताई कि एक भी स्टूटेंड ड्रेस में नहीं है। सबसे पहले उन्होंने बच्चों से पूछा कि आप लोग आर्ट्स में हैं या साइंस में। फिर कहा कि ड्रेस में क्यों नहीं आए तो बच्चे खामोश हो गए। इस दौरान मौजूद प्रिंसिपल ने कहा कि बार बार कहने पर बच्चे स्कूल ड्रेस पहन कर नहीं आ रहे हैं। केके पाठक ने इस पर आश्चर्य जताया।
उसके बाद वे खुद छात्रों को समझाने लगे। कहा कि आप लोग अब से ड्रेस में आईए। यह स्कूल है। ड्रेस में नहीं आए तो न परीक्षा में बैठने दिया जाएगा न क्लास में आने दिया जाएगा। यह लास्ट वॉर्निंग है। अब बोल के जा रहे हैं प्रिंसिपल साहब को कि आप का नाम काटेंगें। क्या आप लोग मॉल में आए हैं…सिनेमा हॉल है ये…या बाजार में घूम रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 12वीं तक हर हाल में ड्रेस में आना होगा। जब डिग्री कॉलेज में आएंगे तो जो मन हो पहनो। यहां तो कोई ड्रेस में नहीं है, कुछ लोग तो बनियान में आ गए हैं। कोई बटन खोल के आ रहा है, कोई हिरो बनके आ रहा है, क्या है यह? उन्होंने क्लास में ही प्रिंसिपल को कहा कि जो बात नहीं माने उनका नाम काट दीजिए।
इससे पहले ही राज्य भर के स्कूलों में केके पाठक की सख्ती के बाद 5 लाख से ज्यादा छात्र छात्राओं के नाम काटे जा चुके हैं। उन्होंने आदेश दिया था कि जो बच्चे स्कूल रेगुलर नहीं आते उनका नाम काट दिया जाएगा। क्लास से गायब रहने के कारण ही 5 लाख 41 हजार बच्चों के नाम स्कूलों से कटे हैं।
इससे पहले एसीएस ने राज्य के सभी डीएम को आदेश दिया है कि स्कूलों में बच्चे अब जमीन पर बैठकर नहीं पढ़ेंगे। उनके लिए बेंच डेस्क का प्रबंध करें। जिलाधिकारियों को गुरुवार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि माध्यमिक विद्यालयों में 1090 करोड़ की राशि पड़ी हुई है। वहीं, कई जगहों पर प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में फर्नीचर की कमी के कारण बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। इसलिए इसलिए उक्त राशि का उपयोग कर विद्यालयों में शौचालयों का जीर्णोद्धार और फर्नीचर खरीद का काम कराएं।
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