पटना: जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी है तब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट करने की कवायद तेज हो गई है। उसके पहले भी समय-समय पर यह कवायद की जाती रही है। समर्थक और जदयू के नेता बार-बार यह कहते हैं कि नीतीश कुमार सही मायने में पीएम मैटेरियल हैं। उनके साथ रहने तक उपेंद्र कुशवाहा भी इस बात को दोहरा चुके हैं। बार-बार जनसभा और मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में ऐसी नारेबाजी की जाती रही है। मंच पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ भी मौजूद थे।
मंगलवार को एक बार फिर नीतीश कुमार को देश का पीएम मैटेरियल बताते हुए नारेबाजी की गई। मौका था शिक्षक दिवस का। पटना यूनिवर्सिटी के सीनेट हॉल में शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच से भाषण कर रहे थे। इसी बीच दर्शकों की भीड़ से नारेबाजी शुरू हो गई। नारा लगाने वाले चिल्ला चिल्ला कर कहने लगे- देश का पीएम कैसा हो नीतीश कुमार जैसा हो।
हालांकि मुख्यमंत्री ने एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में नारा लगाने वाले को ही डांट दिया। कहा कि फालतू बात काहे करते हो। चुपचाप भाषण सुनो। हालांकि, मुख्यमंत्री के कहने का कोई असर नहीं हुआ। दर्शकों की भीड़ से नारेबाजी की जाती रही। इसी बीच सीएम ने अपना भाषण समाप्त किया। सीएम नीतीश कुमार पटना यूनिवर्सिटी में अपने पुराने दिनों की बातों को याद कर रहे थे और सीएम बनने के बाद इस यूनिवर्सिटी के लिए सरकार के तरफ से किए जा रहे मदद की चर्चा कर रहे थे। उसी दौरान सीनेट हॉल में की गई।
नीतीश कुमार ने एक बार फिर पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि हम भी यही से पढ़े हैं। इसलिए इस विश्वविद्यालय से मुझे बहुत प्रेम है। मंच पर मौजूद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ और लेकर से उन्होंने आग्रह किया कि पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने में बिहार की मदद करें। यह उनका सपना है और पूरे बिहार के छात्र इसकी उम्मीद लगाए बैठे हैं। इससे पहले नीतीश कुमार पीएम नरेंद्र मोदी से इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग कर चुके हैं।
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