पटना: पटना में शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों पर ला’ठीचार्ज पर सियासत शुरू हो गई है। बीजेपी के बाद लोक जनशक्ति पार्टी, रामविलास ने नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने इसके लिए नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि जब युवा नौकरी मांगता है तो नीतीश सरकार उसका जवाब ला’ठी से देती है। चिराग पासवान ने बिहार में सुशासन के दावों पर भी सवाल उठाया।
सोमवार को एक बार फिर बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी पुलिस की ला’ठी के शिकार हुए। पटना का डाक बंगला चौराहा घंटों तक रणक्षेत्र बना रहा। दूसरे राज्य के निवासियों को बिहार में शिक्षक बनने के लिए नीतीश सरकार ने दरवाजा खोल दिया है। शिक्षा मंत्री ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से विज्ञान गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों में योग्य शिक्षक बिहार को हासिल होंगे। डोमिसाइल नीति में बदलाव के विरोध में शनिवार को पटना में बड़ी संख्या में शिक्षक अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। राजभवन के लिए मार्च निकाला गया जिसे पुलिस ने रास्ते में रोक दिया। प्रदर्शनकारी नहीं माने तो उन्हें ला’ठियों से पीटकर तितर-बितर कर दिया गया। विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की। इस दौरान एक महिला समेत कम से कम 6 छात्र घा’यल हो गए। पुलिस ने 20 से अधिक छात्रों को हिरासत में ले लिया है। मौके पर तैनात बड़े अधिकारी भी ला’ठी लेकर तैनात दिखे।
जमुई से सांसद चिराग पासवान ने शिक्षक अभ्यर्थियों पर ला’ठीचार्ज किए जाने की घटना को लेकर कड़ा एतराज जताया है। पटना में प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार के पास युवाओं की समस्याओं का एक ही समाधान है और वह ला’ठी। जब भी कोई युवा अपने हक के लिए आवाज उठाता है, नौकरी मांगता है तो सरकार उसे लाठी से पीट देती है। शुक्रवार को जिस तरह से शिक्षक अभ्यर्थियों पर सरकार ने लाठीचार्ज कराया वह निंदनीय है। पुलिस ने तारा दौरा कर बच्चों को पीटा सुशासन की सरकार में यह क्या हो रहा है।
चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की विपक्षी एकता के मुनीम पर भी सवाल उठाया उन्होंने कहा है कि विपक्षी एकता की कसरत सफल नहीं होने वाली। यह फोटो सेशन बनकर रह गया है। बैठक के बाद से ही कई स्वर उठने लगे हैं, जो विपक्षी एकता पर खुद ही सवाल उठाता है। कई राज्यों में तो विपक्षी एकता का दावा पहले ही फेल हो गया है। कई लोगों का अहं टकरा रहा है। सिर्फ प्रधानमंत्री बनने के लिए डोमिसाइल नीति खत्म की गयी है। शिक्षकों की भर्ती को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा तक नहीं दिया जा रहा है।
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