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बिहार के किसानों के लिए आफत बना यूपी-बंगाल का आलू, कीमत में बेतहाशा गिरावट

मुजफ्फरपुर: बिहार में आलू की कीमत में अप्रत्याशित गिरावट ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को प्रति कट्ठा 200 से 600 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दरअसल, यूपी और बंगाल का आलू यहां के किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है। बाहर के कारोबारियों के न आने से यहां का आलू बाहर नहीं जा रहा है। मंडियों में यूपी और बंगाल के आलू का दाम प्रति क्विंटल 560 से 570 रुपये है। जबकि लोकल आलू 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल। अधिक मुनाफा के चक्कर में कारोबारी बाहर के आलू को प्राथमिकता दे रहे हैं।

क्यों किसान नहीं उगा रहें हैं आलू की फसल |  Why-farmers-are-not-growing-potato-crop

बिहारशरीफ में 24 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती की गई है। खासकर जिला मुख्यालय के आस-पास के दर्जनों गांव आलू उत्पादन के हब हैं। दो लाख परिवारों की जीविका इससे जुड़ी है। बड़ी पहाड़ी के किसान प्रमोद कुमार, कमेन्द्र प्रसाद, जयमंती देवी, आशानगर के धानो महतो, टिकुलीपर के सिंटु कुमार बताते हैं कि प्रति कट्ठा औसतन चार क्विंटल उत्पादन हुआ है। 600 रुपये क्विंटल से ज्यादा कारोबारी खरीदने को तैयार नहीं हैं।

बाजार का हाल यह कि एक कट्ठा की खेती में 2600 रुपये लगे हैं। जबकि उपज से 2400 रुपये ही मिल पा रहे हैं। तीन माह के अथक परिश्रम की तो कोई कीमत ही नहीं। जबकि पिछले साल इस सीजन में 1000 से 1200 रुपये क्विंटल आलू बिका था। किसानों को यह चिंता सता रही है कि जल्द दाम में इजाफा नहीं हुआ तो जिले के उत्पादकों को 38 करोड़ से अधिक की चपत लगेगी।

कीमत धड़ाम होने से किसान उपज को न बेचने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं और न ही कोल्ड स्टोरेज में रखने की। क्योंकि, एक क्विंटल आलू स्टोरेज में रखने का किराया 280 रुपये है। जिले में 15 लाख क्विंटल क्षमता वाले 13 कोल्ड स्टोरेज हैं। लेकिन, सभी खाली पड़े हैं।

कारोबारी काट रहे चांदी 

आलू उत्पादक भले ही नुकसान उठा रहे हैं। लेकिन, कारोबारी और दुकानदार चांदी काट रहे हैं। खेत में आलू की कीमत 600 रुपये क्विंटल तो मंडी में 700 रुपये। जबकि, शहर की दुकानों में 12 रुपए किलो।

पटना में एक हफ्ते में 6 रुपये प्रति किलो घट गई कीमत

पटना की खुदरा मंडियों में आलू की कीमत सोमवार को 12 रुपये किलो थी, जबकि एक सप्ताह पहले तक 16 से 18 रुपये थी। थोक मंडी में बाहर से आने वाले आलू के साथ स्थानीय आलू की आवक भी बढ़ी है। मीठापुर के थोक सब्जी विक्रेता राम कुमार साव ने बताया कि पहले आगरा और छत्तीसगढ़ से आलू यहां आ रहा था। एक महीने से रांची और हजारीबाग, जबकि 10- 15 दिन से समस्तीपुर, सोन इलाके और पटना के आसपास से भी आलू पहुंचने लगा है। इसीलिए कीमतें तेजी से गिरी हैं। थोक मंडी में कीमतें कम होने का असर खुदरा मंडियों में भी देखने को मिल रहा है। राजेन्द्र नगर, हनुमान नगर सहित कंकड़बाग की मंडियों में 60 रुपये पसेरी (5 किलोग्राम) से लेकर 80 रुपये पसेरी के बीच है।

मक्के की फसल बचाने के लिए आलू निकालने को मजबूर किसान

मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी सरमस्ता के किसान मो. नजरे आलम ने बताया कि आलू की खेती करने में प्रति कट्ठा करीब दो हजार रुपये खर्च आता है। अंतिम समय में मौसम साथ नहीं दिया जिससे फसल अच्छी नहीं हुई। प्रति कट्ठा दो क्विंटल आलू निकला है। किसानों ने बताया कि आलू रोपने के समय 15 से 18 सौ रुपये क्विंटल आलू था। इस बार समय से रोपाई हो गई थी, जिसके कारण जनवरी में ही आलू की फसल तैयार हो गई है। दूसरी ओर 15 फरवरी के बाद ही कोल्डस्टोर खुलने की उम्मीद है। इतने दिन आलू को बाहर रखना मुश्किल है जिसके कारण किसान व्यापारियों के हाथों सात सौ रुपये में आलू बेच रहे हैं।

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