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राष्ट्रपति और पीएम खाएंगे बिहार में तैयार कतरनी चूड़ा, रामायण में है इसकी चर्चा

मकर संक्रांति पर भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  बिहार में तैयार कतरनी चूड़ा खाएंगे। चूड़ा भागलपुर से भेजी जा रही है। भागलपुर जिला प्रशासन ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित 200 विशिष्ट लोगों के लिए तीन क्विंटल कतरनी चूड़ा भेजने की तैयारी कर ली है। विक्रमशिला एक्सप्रेस से कतरनी चूड़ा की खेप लेकर भागलपुर आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह सहित अन्य कर्मी दिल्ली जाएंगे। खास यह कि जैविक विधि से उपजा कतरनी धान का चूड़ा बनवाया जा रहा है।

राष्ट्रपति और पीएम खाएंगे बिहारी कतरनी चूड़ा, कभी मगध सम्राट खाते थे कतरनी चावल; रामायण में है इसकी चर्चा

सुल्तानगंज प्रखंड के आभा रतनपुर निवासी दो किसानों के खेतों में उपजा कतरनी धान से चूड़ा बनवाया गया है। इसकी खेती बीएयू के वैज्ञानिकों की सलाह पर की गई है। जिस समिति ने कतरनी चूड़ा के सैम्पल का चयन किया उनमें जिले के कृषि अधिकारियों के अलावा बीएयू के वैज्ञानिक भी शमिल थे।

आत्मा के उप परियोजना निदेशक ने बताया कि पिछले साल भी जर्दालू आम और कतरनी धान से बना चूड़ा भी विशिष्ट हस्तियों को भेजा गया था। पहले दिल्ली के विशिष्ट हस्तियों को संदेश भेजा जा रहा है। इसके बाद पटना भी भेजा जाएगा। दिल्ली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विभिन्न विभागों के मंत्री सहित 200 लोगों के लिए यह संदेश होगा। उन्होंने बताया कि कई जगहों से सैम्पल मंगाये गए थे जिनमें से आभा रतनपुर के किसान का सैम्पल चयन किया गया है।

देश-विदेश में है पहचान

जिन कुछ खास विशिष्टताओं के कारण भागलपुर या अंग प्रदेश की पहचान देश-विदेश में है उसमें कतरनी चावल और चूड़ा खास है। दुधिया रंग की छोटी-छोटी मोतियों से दाने देखने में जितना सुंदर है उतना ही सुगंधित। भागलपुर की मंडी से कतरनी चूड़ा और चावल दिल्ली, बनारस, पटना, लखनऊ सहित दक्षिण भारत के कई शहरों में भी जाता है।

मगध सम्राट बिम्बिसार के लिए जाता था कतरनी चावल

अंग क्षेत्र के कतरनी की खुशबू की चर्चा रामायण, बौद्ध ग्रंथ और इतिहास के किताबों में भी है। इतिहासकारों की मानें तो कतरनी चावल मगध सम्राट की थाली में भी परोसा जाता था। अंग जनपद की विशिष्टताओं पर किताब लिखने वाले पूर्व जनसंपर्क अधिकारी शिव शंकर सिंह पारिजात बताते हैं कि प्रसिद्ध इतिहासकार एनएल डे ने बंगाल एशियाटिक सोसायटी के जर्नल में अंग पर एक लेख लिखा है जिसमें कहा है यहां एक खास प्रकार के चावल की खेती थी जिसकी खुशबू ऐसी थी कि इसे मगध सम्राट बिम्बिसार के लिए अंग जनपद से ले जाया जाता था।

 

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