बिहार के सीतामढ़ी जिला मुख्यालय डुमरा स्थित पीएचसी के डॉक्टर ने एक नवजात को मृ’त घोषित कर दिया। नवजात को लेकर परिजन श्म’शान घाट पहुंच गए और अंति’म क्रि’याकर्म की तैयारी शुरू कर दी। तभी बच्चे ने रोना शुरू कर दिया।
श्म’शान में नवजात के जिंदा निकलने पर परिजन खुश हो गए। आनन-फानन में श्म’शान से नवजात को लेकर परिजन निजी अस्पताल पहुंचे। यहां इलाज के दौरान नवजात ने द’म तो’ड़ दिया। परिजन नवजात की मौ’त का कारण पीएचसी के डॉक्टर की लापरवाही बता रहे हैं।
बताया गया है कि डुमरा प्रखंड के माधोपुर रौशन गांव के अमित कुमार की पत्नी सरस्वती देवी को डिलेवरी का दर्द महसूस होने पर शुक्रवार की सुबह पीएचसी में भर्ती कराया गया था। परिजन का आरो’प है कि पूरे दिन प्रसव पी’ड़िता की एएनएम ने ही देखरेख की। एक बार भी ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ नीरव कुमार ने मरीज का हाल नहीं जाना। शाम के करीब छह बजे नवजात का जन्म हुआ। उसे देखते ही एएनएम ने नवजात को मृ’त बता दिया। बाद में पीएचसी के डॉक्टर ने भी नवजात को मृ’त घोषित कर दिया।
प्राइवेट डॉक्टर के यहां नवजात ने तो’ड़ा द’म
निराश होकर परिजन उक्त नवजात को लेकर श्म’शान में पहुंचे। मिट्टी में दफ’नाने के लिए के लिए गड्ढा खोदा जाने लगा, तभी नवजात के शरीर में हलचल हुई। परिजन नवजात के जिंदा होने के कारण उसे लेकर सीधे निजी चिकित्सक डॉ मनोज कुमार के यहां पहुंचे। उन्होंने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमित वर्मा के यहां ले जाने की सलाह दी। डॉ वर्मा के यहां इलाज के दौरान ही नवजात ने दम तोड़ दिया।
नवजात के परिजनों ने लगाया पीएचसी के डॉक्टर पर लापरवाही का आरो’प
इस घट’ना से आक्रो’शित परिजन व शुभचिंतक पीएचसी में जमा हो गये। सभी चिकित्सक की लापर’वाही से नवजात की मौ’त होने की बात कह रहे थे। काफी भीड़ देख किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए चिकित्सक डॉ कुमार ने डुमरा थाना पुलिस को पीएचसी में बुला लिया गया था।
घ’टना मृ’तक के पिता अमित कुमार व अन्य परिजन काफी व्यथित दिखे। अमित कुमार ने बताया कि डॉक्टर अगर मरीज को गंभीरता से लेते तो शायद नवजात की मौ’त नहीं होती। इधर, ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ आलम ने बताया कि उन्हें डॉ कुमार से सूचना मिली कि जन्म के साथ ही नवजात मृ’त पाया गया था।
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