चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हम’ला बोला है। उन्होंने कहा कि बिहार में पूरी व्यवस्था ही ध्वस्त है, उसमें शिक्षा सबसे ऊपर है। सरकारी स्कूल भगवान भरोसे चल रहे हैं। नीतीश कुमार पढ़े-लिखे हैं, फिर भी उनके शासन काल में शिक्षा व्यवस्था लचर है। यह उनके काल का काला अध्याय है।
बिहार में जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर उर्फ पीके पश्चिमी चंपारण जिले में लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछले 12 दिनों से वे चल रहे हैं। इस दौरान उन्हें एक भी जगह ऐसा स्कूल नहीं मिला, जहां पर बिल्डिंग, शिक्षक और विद्यार्थी तीनों एक साथ हों और सुचारू रूप से काम कर रहे हों। ये हालत प्राइमरी, मिडिल, अपर प्राइमरी या प्लस टू सभी तरह के स्कूलों की है।
पीके ने कहा कि अभी दो दिन पहले वे मैनाटांड़ के हाईस्कूल के मैदान में रुके थे। वहां लोगों ने बताया कि किसी जमाने में बेतिया का सेकंड बेस्ट स्कूल हुआ करता था। वहां के शिक्षकों ने उनसे मुलाकात की और कहा कि इस स्कूल में अभी कुल चार ही टीचर हैं। पेपर पर ही स्कूल को मिडल से हाई स्कूल कर दिया, हाई को प्लस टू कर दिया। और फिर भगवान भरोसे छोड़ दिया।
पीके ने आगे बताया कि एक दिन पहले दोपहर में खाने के लिए जहां रुके हुए थे, वहां करोड़ों की बिल्डिंग बनी हुई है। वहां एक भी शिक्षक नहीं है। उसका आखिरी उपयोग स्ट्रॉन्ग रूम बनाने में किया गया था।
‘लचर शिक्षा व्यवस्था नीतीश काल का काला अध्याय’
प्रशांत किशोर ने कहा कि जब भी इतिहास लिखा जाएगा, लचर शिक्षा व्यवस्था नीतीश कुमार का सबसे बड़ा दोष होगा। एक पढ़े-लिखे व्यक्ति होने के बावजूद उनके शासन काल में बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरे तरीके से ध्वस्त हो गई, ये उनके काल का सबसे बड़ा काला अध्याय है। सड़क खराब हुई तो वापस बन जाती है। लेकिन शिक्षा व्यवस्ता ध्वस्त हो तो पूरा का पूरा जनरेशन खराब हो जाता है। जो बच्चा पढ़ नहीं पाया, वो जीवनभर कभी भी अपने क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
Be First to Comment