पूर्णिया : नवरात्रा को लेकर शहर में आस्था और भक्ति का वातावरण है। मां के सज रहे दरबार के बीच हर ओर भक्ति का बयार है। कहीं बंगाल की संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है तो कहीं भव्य पंडाल देश के प्रसिद्ध मंदिरों की याद ताजा कर रही है।
पूजन स्थलों पर कोलकोता चन्दननगर की लाईट आर्कषण का केन्द्र बना है तो बच्चों के लिए मनोरंजन का केंद्र जीवित पुतला अपने ओर खींचेगी। चहुंओर पूजन पाठ और आर्कषक तैयारियों से श्रद्दालु भक्ति भाव में डूबे हुए हैं। शुक्रवार को मंदिरों में अहले सुबह पंचम दुर्गा मां स्कन्द माता की पूजा अर्चना की गई। शनिवार को षष्ठी पूजन पर मंदिरों के पट खुलने के साथ मां के दर्शन के लिए श्रद्वालुओं की भीड़ उमड़ने लगेगी।
जलालगढ़ प्रखंड के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में दुर्गा पूजा के पांचवें दिन मां स्कंध की पूजा की गई। पुरोहित गणेश ने बताया कि पुराणों के अनुसार मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान रहती है इसलिए इन्हें पद्मासन देवी के नाम से भी जाना जाता है। इस देवी की चार भुजाएं हैं, माता की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
स्कंदमाता की पूजा भक्तों का आशीर्वाद और भाग्य लाने के लिए की जाती है। उन्हें प्रेम और मातृत्व की देवी माना जाता है। उत्साह के साथ स्कंद माता की पूजा की जाती है। पार्वती ने भगवान शिव के लिए तपस्या की और भगवान स्कंद को इस दुनिया में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभिन्न मंदिरों में पूजा के वक्त एवं आरती के समय काफी भीड़ इकट्ठा हो जाया करती है। संध्या समय सैकड़ों की संख्या में महिलाएं संध्या दीप जलाकर मां दुर्गा की आराधना करती है। पंडित के मंत्र उच्चारण से चारों बगल भक्तिमय बना रहता है।
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