गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) एक नवजात की तरह है, इसके ढांचे में उम्र के साथ बदलाव होना तय है। साल 2017 में वन नेशन, वन टैक्स यानी जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की ओर से इसी तरह के तर्क दिए गए।
अब ठीक 5 साल बाद जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो तमाम आलोचनाओं के बावजूद जीएसटी की वजह से इकोनॉमी को एक नई दिशा मिली है। सरकार का कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा तो क्षेत्रीय असंतुलन भी दूर हुआ है। इस जीएसटी की वजह से अंतर-राज्य अवरोध भी खत्म हुए।
ई-वे बिल ने ट्रांसपोर्टेशन की राह आसान की तो हाईटेक सिस्टम में टैक्स चोरियां भी पकड़ी जाने लगी है। वहीं, आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार को समय-समय पर जीएसटी के ढांचे में भी बदलाव करने पड़े हैं।
मसलन, अब तक के 47 बार हो चुकी जीएसटी काउंसिल बैठक में कई दफा गुड्स और सर्विसेज के टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए हैं। यही नहीं, बीते पांच वर्षों में जीएसटी कानून विकसित हुआ है और करदाताओं को आने वाली कई परेशानियों को समयबद्ध स्पष्टीकरण और संशोधनों के जरिये दूर किया गया।
केंद्र और राज्यों के बीच तमाम भतभेद के बावजूद एक टैक्स रिलेशन मजबूत हुआ है। लगातार 5 साल तक केंद्र सरकार की ओर से क्षतिर्पूति दिए जाना या कंपसेशन सेस को 4 साल आगे बढ़ाए जाना, इस रिश्ते को दिखाता है।
आपको बता दें कि जीएसटी में उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) जैसे 17 स्थानीय कर और 13 उपकर समाहित किए गए हैं। जीएसटी में चार स्लैब- 5, 12, 18 और 28 फीसदी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी के पांच साल पूरे होने के मौके पर इसे एक बड़ा कर सुधार बताते हुए कहा कि इसने कारोबारी सुगमता बढ़ाने के साथ ही ‘एक राष्ट्र एक कर’ की संकल्पना को भी साकार किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह एक प्रमुख कर सुधार है जिसने ‘कारोबार करने को सुगम’ बनाया और ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की संकल्पना को भी साकार किया।”
जीएसटी के 5 साल में कलेक्शन ने भी कई रिकॉर्ड बनाए हैं। जून के महीने में कलेक्शन बढ़कर 1.44 लाख करोड़ रुपये हो गया जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 56 प्रतिशत अधिक है। जीएसटी लागू होने के बाद यह पांचवीं बार है जब मासिक कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है और मार्च 2022 के बाद से चौथा महीना है। वहीं, अप्रैल 2022 के बाद जून में दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन हुआ है।
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