बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य के सभी आवास विहीन परिवारों के लिए सरकार हर हाल में घर बनाएगी। आवास देने में अनुसचित जाति, जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग के लाभुकों को प्राथमिकता दी जाती है।
मंत्री गुरुवार को विधान परिषद में रामचन्द्र पूर्वे के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे। कहा कि पीएम आवास योजना ग्रामीण की प्रतीक्षा सूची के सभी लाभुकों को आवास के लिए जमीन देने को राज्य में सीएम वास स्थल क्रय सहायता योजना चल रही है। इस योजना में जहां सरकारी जमीन नहीं है वहां के लाभुकों को जमीन खरीदने को पैसा दिए जाते हैं। कहा कि इसके तहत कुल 3045 लाभुकों का निबंधन किया गया है। इनमें 1890 लाभुकों को साठ-साठ हजार रुपये सहायाता राशि दी गई है।राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत कुमार ने कहा है कि सरकार आश्वस्त करती है कि मठ-मंदिरों की जमीन बेचने नहीं दी जाएगी। हालांकि मठ-मंदिर की जमीन सरकारी भूमि नहीं है। लेकिन इन जमीनों के मालिकाना हक भगवान और सेवादारों, पुजारियों के नाम अभ्युक्ति में दर्ज हो रहे हैं।सेवादार जमीन से होने वाली आय से अपना खर्च, मंदिर का जीर्णोद्धार कर सकते हैं लेकिन उन जमीनों की बिक्री नहीं कर सकते। इन जमीनों को बेद’खल नहीं होने दिया जाएगा। गुरुवार को संजय सरावगी के ध्यानाकर्षण के जवाब में विस में राजस्व मंत्री ने कहा कि मठ-मंदिर का संचालन बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के माध्यम से होता है। इसके लिए अधिनियम बना हुआ है और यह विधि विभाग के अधीन आता है। प्रश्नकर्ता ने मंत्री के जवाब को अस्पष्ट बताया।मंत्री ने कहा कि 1509 अनिबंधित मठ-मंदिरों के पास 26 हजार एकड़ जमीन है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इन जमीनों की बिक्री नहीं हो। खुद को संत विरो’धी नहीं बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह लोक की भूमि है। पूर्वजों ने मठ-मंदिर के लिए जमीन दी है। सभाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के हस्तक्षेप पर सदन में मौजूद विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि अंचलाधिकारी के माध्यम से धार्मिक न्यास पर्षद को मठ-मंदिरों की जमीन के बारे में सूचना मिलेगी, तभी इसका निबंधन हो सकेगा।लेकिन निबंधन से पहले यह जरूरी है कि इन जमीनों की पैमाइश हो और पिलरिंग का काम कर लिया जाए ताकि इसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। प्रश्नकर्ता के असं’तुष्ट रहने पर सभाध्यक्ष ने कहा कि मठ-मंदिरों की जमीन का मामला राजस्व विभाग, विधि विभाग, निबंधन विभाग सहित कई विभागों से जुड़ा है। इसलिए सरकार इस पर गंभी’रता से विचार कर निर्णय ले।
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