मुजफ्फरपुर जिले में विधानसभा चुनाव में नए इवीएम एम-3 का इस्तेमाल होने जा रहा है. चुनाव आयोग ने इसके लिए 10,400 नए इवीएम आवंटित किया है.

21 अप्रैल तक बीयू, सीयू और बीवीपैट वेयर हाउस में आ जाएगा. यह देश का सबसे उन्नत इवीएम है. वही दूसरी ओर चुनाव में मुजफ्फरपुर से समस्तीपुर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी व शिवहर को 5650 इवीएम सेट भेजा जाएगा. इसके लिए आवश्यक तैयारी की जा रही है.

पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे उन्नत तकनीक के इवीएम का उपयोग हो रहा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में इसका इस्तेमाल हो चुका है. चुनाव आयोग द्वारा चुनावों को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए किया जाता है.

नया इवीएम का 25 मई से फस्ट लेवल चेकिंग किया जाएगा. यह 32 दिन तक चलेगा. यह कार्य 25 इंजीनियर के टीम के जिम्मे होगा. चुनाव पहले एफएसएल किया जाता है. इसके बाद रैंडम चेकिंग होता है. राजनीतिक दलों के सामने मॉक पॉल कराया जाता है.

एम 3 इवीएम की विशेषता एम3 ईइवीएम पिछली ईवीएम की तुलना में अधिक सुरक्षा सुविधाओं से लैस है. इसमें अनधिकृत पहुंच और छेड़छाड़ को रोकने के लिए एन्क्रिप्शन और अन्य तकनीकी सुरक्षा उपाय शामिल हैं. एम3 ईवीएम में मतदाता की पहचान को और मजबूत करने के लिए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) को एकीकृत किया जा सकता है.

वीवीपीएटी एक पर्ची छापती है जो मतदाता को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट सही ढंग से दर्ज किया गया है.अधिक उम्मीदवारों और मतदाताओं के डेटा को स्टोर करने की क्षमता होती है. इन मशीनों में त्रुटि का पता लगाने के लिए बेहतर तंत्र होते हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से चले. किसी भी नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती हैं.

यह हैकिंग या रिमोट एक्सेस के जोखिम को समाप्त करता है। मशीनें स्टैंड अलोन डिवाइस के रूप में काम करती हैं. एम3 ईवीएम को टिकाऊ बनाया गया है ताकि परिवहन और विभिन्न मतदान स्थलों पर उपयोग की कठोर परिस्थितियों का सामना किया जा सके.

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