समस्तीपुर के रोसड़ा शहर में भादो माह में मां भद्रकाली की पूजा की जाती है। इसके लिए मंगलवार को माता के पट खुलते ही खोइछा भरने के लिए महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी।
पूजा का आयोजन रोसरा शहर के पुरानी बस पड़ाव स्थल के समीप किया जाता है। इसका पट भादो माह की अमावस्या की रात काली माता का पट खोला गया। इसके बाद मंगलवार सुबह आरती और खोईंछा भरने महिलाएं उमड़ पड़ीं।
इधर आकर्षक पूजा पंडाल बनाकर मन्दिर को भव्य रूप से सजाया गया है, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंगलवार की सुबह पूजा अर्चना के दौरान मंदिर के पुजारी ने बताया कि पूरे रोसरा क्षेत्र में मात्र पुरानी बस स्थल के समीप ही स्थानीय लोगों के सहयोग से मां काली की प्रतिमा को स्थापित कर श्रद्धा और एकता के साथ भद्रकाली की पूजा अर्चना की जाती है।
पिछले 40 वर्षों से लगातार स्थानीय लोगों के सहयोग से उक्त मंदिर में भादो महीने की अमावस्या के दिन मां काली की प्रतिमा को स्थापित कर विधिवत रूप से पूजा अर्चना की जाती है। पुजारी ने बताया कि यह पूजा आसपास कहीं नहीं होती है। इस कारण दूरदराज से लोग भी मंदिर पहुंचकर मां काली की पूजा अर्चना करते हैं।
उन्होंने बताया कि 40 वर्ष पूर्व तांत्रिक और स्थानीय लोगों की ओर से इस स्थान पर मां काली की पूजा कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन की जाती थी। लेकिन, उसी तांत्रिक और स्थानीय पूर्वजों ने भादो मास की अमावस्या के दिन उक्त मंदिर में मां काली की प्रतिमा स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठान कर उनका आवाह्वान किया। इसके बाद से उसी दिन मां भद्रकाली की पूजा अर्चना होती आ रही है।
पूरे रोसरा शहर में मात्र इसी मंदिर में मां भद्रकाली की पूजा अर्चना भव्य रूप से की जाती है। इस पूजा अर्चना में स्थानीय दुकानदारों के साथ-साथ लोगों का काफी सहयोग रहता है। इधर सोमवार की रात मां काली का पट खुलते ही मंगलवार की सुबह से ही पूजा अर्चना को लेकर रोसरा शहर सहित आसपास के गांव के सैकड़ों पुरुष महिला श्रद्धालु पंहुचे हुए हैं।
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