सीतामढ़ी जिले के नानपुर थाना क्षेत्र के नानपुर गांव का कलामुद्दीन अपने बेटे की जिंदगी की भीख मांग रहा है। वह वर्षों से अहमदाबाद में सिलाई का काम करता था।
इसी बीच उसकी पत्नी को कैंसर हो गया। अब कलामुद्दीन के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। सिलाई करके अपने परिवार के लोगों को दो वक्त की रोटी दे रहा था।
तब सकून की ज़िंदगी चल रही थी। पत्नी को कैंसर होने के बाद उसकी जिंदगी उलझनों में कैद होने लगी। अपने ,बेगाने और रिश्तेदारों से कर्ज़ लेकर उसने अपनी पत्नी का इलाज कराना शुरू किया।
कई साल के लंबे इलाज़ के बाद उसकी पत्नी इस दुनिया को छोड़ हमेशा के लिए उससे दूर चली गयी। अभी उसके पत्नी को गए कुछ ही दिन हुए कि उसका इकलौता बेटा एहसान किडनी की बीमारी का शिकार हो गया।
अब कलामुद्दीन के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। छोटे बड़े हॉस्पिटल में इलाज़ कराते हुए वह अहमदाबाद के इंस्टिट्यूट ऑफ़ किडनी डिजीज ऐंड रिसर्च सेंटर अहमदाबाद में भी इलाज़ कराना शुरू करा दिया।
इस बीच उसने अपने बेटे का आयुष्मान कार्ड भी बनवाया लिया था। लेकिन अफसोस अहमदाबाद के उस रिसर्च सेंटर ने आयुष्मान कार्ड का कोई भी मान्यता नहीं दिया।
थोड़े बहुत जो पैसे थे उससे उसने अपने बच्चे का इलाज अहमदाबाद में करवाया ।उसे अफसोस इस बात का है कि प्रधानमंत्री का आयुष्मान भारत कार्ड का अहमदाबाद के रिसर्च सेंटर ने नहीं दिया। उसे अब अपने बेटे की ज़िंदगी दांव पर लगती दिख रही है। 11 वर्षीय एहसान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने ज़िंदगी की भीख मांग रहा है।
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