गया: बिहार के धार्मिक स्थलों की बात करें तो हर जिले में एक से बढ़कर एक तीर्थ स्थल हैं। हालांकि इनमें सबसे खास गया है। ये बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के लिए भी खास है। यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक देवी दुर्गा का मंगला गौरी मंदिर भी है। भस्मकूट पर्वत पर स्थित इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां मन्नत मांगने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मंगला गौरी मंदिर को पालनहार पीठ या पालनपीठ भी कहा जाता है। 15वीं सदी में बने इस मंदिर को 18 महाशक्तिपीठों में गिना जाता है। दरअसल देवी सती का वक्ष स्थल यहीं पर गिरा था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब भगवान शिव सती के शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे तब सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने देवी सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काट दिया था। ऐसे में सती के शरीर के टुकड़े धरती पर चारों तरफ बिखर गए। जिनमें से वक्ष स्थल गया के भस्मकूट पर्वत पर गिरा था।
मंगला गौरी मंदिर में मंगलवार को एक विशेष पूजा होती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। इस पूजा में देवी मंगला गौरी को 16 तरह की चुड़ियां, सात किस्म के फल और पांच तरह की मिठाईयां चढ़ती हैं। सबसे पहले देवी की प्रतिमा को दूध,दही और पानी से स्नान कराने के बाद लाल कपड़े में लपेटा जाता है। फिर सिंदूर, मेंहदी और काजल से देवी का श्रृंगार किया जाता है। दरअसल यहां पर देवी के वक्ष स्थल को पोषाहार का स्वरुप मानकर पूजा जाता है।
मंदिर परिसर में भगवान महादेव, दुर्गा, देवी दक्षिण-काली, महिषासुर मर्दिनी और देवी सती के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा गणेश और हनुमान के भी मंदिर हैं। इस स्थान का जिक्र पद्म पुराण, मार्कंडेय पुराण और अग्निपुराण में भी मिलता है। इसी पहाड़ी पर पाड़व भाइयों में से एक गदाधारी भीम का भी मंदिर है।
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