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इस मंदिर में रची गई चंद्रकांता उपन्यास, एक बार जलाभिषेक से 2101 जलार्पण का फल

समस्तीपुर: समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड से सटे कल्याणपुर प्रखंड का मालीनगर गांव। यहां दो सौ साल से अधिक पुराना शिव मंदिर है। यह वही मंदिर है, जहां देवकीनंदन खत्री ने साहित्य की साधना की थी। इसी मंदिर में बैठकर उन्होंने उपन्यास चंद्रकांता की रचना की थी, जिससे उन्हें देश-दुनिया में प्रसिद्धि मिली थी। मान्यता है कि इस मंदिर में एक बार जलाभिषेक करने से 2101 जलाभिषेक का फल मिलता है।

One time you get 2101 fruit of Jalabhishek on Shivling - एक बार से मिलता है  2101 शिवलिंग पर जलाभिषेक का फल

 

ग्रामीणों का कहना है कि मालीनगर गांव स्थित श्री हरि मंदिर की स्थापना देवकी नंदन खत्री के पूर्वजों ने की थी। विशाल मंदिर के गर्भगृह में भव्य शिवलिंग स्थापित है। इस पर छोटी-छोटी 21 सौ शिवलिंग की आकृति गढ़ी हुई है। इस शिवलिंग में विराजमान मां पार्वती की भव्यता श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करती है। स्थानीय लोगों के साथ ही आसपास के इलाके के लोगों की इस मंदिर से गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वैसे तो यहां सालोभर पूजा अर्चना के लिए लोग आते हैं, लेकिन सावन की सोमवारी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। सुबह से दोपहर तक जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

 

पुजारी प्रेमनाथ वाजपेयी ने बताया कि यह मंदिर दो सौ साल से अधिक पुराना है। इसकी स्थापना खत्री परिवार के पूर्वजों ने की थी। वर्तमान में इसकी व्यवस्था अश्वनी खत्री देख रहे हैं। मनमोहक व उत्कृष्ट कलाकृतियां इस मंदिर की भव्यता बढ़ाती है। स्थानीय लोगों की मानें तो इस मंदिर में आस्था रखने वाले श्रद्धालु निरंतर प्रगति पथ पर हैं। कई लोग इसे मनोकामना मंदिर भी कहने लगे हैं। इस मंदिर के दूसरे हिस्से में राम व जगन्नाथ दरबार में सुभद्रा जी, बलभद्र जी आदि की मूर्तियां भी लोगों की आस्था का केन्द्र है।

 

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