बिहार में आजादी के बाद डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह से लेकर नीतीश कुमार तक कुल 23 राजनेता मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन राजनीति में परिवारवाद की गंभीर बीमारी के बाद भी राज्य के किसी सीएम का बेटा या बेटी अब तक बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बन पाया है।
दो बार सीएम रहे आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के नाम अपनी पत्नी राबड़ी देवी को भी तीन टर्म मुख्यमंत्री बनाने का रिकॉर्ड है लेकिन उनके बेटे तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम पर जाकर लटक जा रहे हैं।
नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम रह चुके बीजेपी नेता सुशील मोदी लगातार कह रहे हैं कि लालू ने नीतीश को फंसा लिया है और वो कभी भी जेडीयू के 4-5 विधायकों को तोड़कर बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना देंगे। सुशील मोदी के शिगूफे में कितना दम है यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन पूरे बिहार और देश में यह चर्चा तो बेधड़क चल रही है कि अगर नीतीश कुमार पीएम कैंडिडेट बन पाते हैं तो तेजस्वी की बतौर सीएम ताजपोशी हो सकती है।
2024 के लोकसभा चुनाव तक कुछ ना हुआ तो 2025 में नीतीश कुमार की ही सहमति और आशीर्वाद से तेजस्वी की संभावना बलवती हो जाएगी जब विधानसभा के चुनाव होंगे।
लालू के दिल्ली से पटना लौटने के बाद जब नीतीश उनसे मिलने गए थे तो बीमार लालू ने नीतीश से अपने बच्चों को लेकर कहा था कि आप ही सबके गार्जियन हैं, अब यहां-वहां मत जाइएगा। तेजस्वी यादव के हाव-भाव और बयान भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि वो नीतीश चाचा को किसी भी तरह का गच्चा देने के मूड में नहीं हैं और अपनी बारी का धैर्य से इंतजार करने को तैयार हैं।
तमाम किंतु-परंतु के बीच अगर तेजस्वी यादव कभी भी बिहार के मुख्यमंत्री बनते हैं तो वो एक इतिहास रचेंगे क्योंकि बिहार के किसी भी मुख्यमंत्री के बेटे के सीएम बनने की पहली घटना होगी।
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