भारत की बहुरंगी संस्कृति की झलक देखनी हो तो सावन का महीना सबसे बेहतर होता है. कांवड़ियों के रूप में लगभग तमाम समाज, संस्कृति के लोग अपने कांवड़ संग निकल पड़ते हैं बाबाधाम के लिए. इस बार पटना सहित कई प्रदेशों के किन्नर एकसाथ निकले हैं इस सावन यात्रा पर. किन्नरों का यह ग्रुप सुल्तानगंज से जल भरकर बाबाधाम के लिए चलेगा.
मुंगेर के कांवड़िया पथ पर बाबा भोले के प्रति किन्नरों की आस्था देख लोग अचंभित हो रहे हैं. जाहिर है किन्नरों को उपेक्षित नजरिए से या खुद से भिन्न मानने वाले ये लोग इनकी आस्था देखकर अहसास कर रहे हैं कि ये भी हमारे साथ के और इसी भारतीय समाज का ही हिस्सा हैं.
मुंगेर कांवड़िया पथ पर इस सावन के महीने में तरह-तरह के कांवड़ियों के दर्शन होते हैं. इससे पता चलता है कि भारतीय समाज के लोगों में बाबा भोले के प्रति आस्था की जड़ें कितनी गहरी हैं. ऐसा ही नजारा पेश कर रहा है किन्नर समाज भी.
बाबा की भक्ति में डूबे ये किन्नर भी देवघर पैदल जा रहे हैं. देवों के देव महादेव शंभू, हर हर शंभू… शंभू… शंभू… के जयकारों से कांवड़िया पथ गूंज रहा है. श्रावणी मेला में हर दिन कांवड़िया पथ पर शिवभक्तों की भीड़ सुबह से ही शाम तक रहती है. हर वक्त एक जैसा नजारा. हर वक्त आस्था की लहर.
किन्नर कांवड़ियों का जत्था सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा बैजनाथ का जलाभिषेक करने निकल पड़ा है. वाराणसी के किन्नर करीना ने बताया कि 10 वर्षों से किन्नर 18 का हमारा जत्था बाबाधाम जाता है. कोलकाता, वाराणसी, पटना सहित अन्य जगहों के किन्नर एकसाथ जुटते हैं और बाबाधाम की यात्रा में शामिल होते हैं. हमलोग रास्ते में थके-हारे कांवरियों की सेवा करते हुए बाबा भोले के दरबार में पहुंचते हैं और जलाभिषेक करते हैं.
पटना के किन्नर कमरिया पीहू ने बताया कि इस साल भोले बाबा के दरबार जाने के लिए पूजा, मिष्टी, लाडो, अमृता सोनिया, शांति, खुशी, रागिनी, सहित 18 का जत्था निकला है.
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