छपरा में एक बार फिर खनुआ नाला पर बनी दुकानों को हटाने के लिये अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत खनुआ नाला पर बनी 286 में से 20 दुकानों को जिला प्रशासन ने शॉर्ट नोटिस के तहत तोड़ कर गिरा रहा है।
इन दुकानों को तोड़ने के लिए शनिवार को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सुबह 11 बजे से अभियान शुरू किया गया। अभी तक यह अभियान लगातार चल रहा है। इस अभियान में नगर निगम, बुडको और जिला प्रशासन के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहे।
शनिवार को साढ़ा ढाला के पास से इस अभियान की शुरुआत की गई। हर 4 से 6 दुकानों के बाद से दो दुकानों को इस अभियान में तोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि एनजीटी के आदेश के तहत यह कार्रवाई शुरू की गई है।
इसके तहत अब तक लगभग 20 से 25 दुकानों पर प्रशासन का बुलडोजर चल चुका है। गौरतलब है कि वर्ष 1995 में तत्कालीन जिला प्रशासन ने खनुआ नाले के ऊपर 286 दुकानें बनाकर जरूरतमंदों को अलॉट कर दिया था, लेकिन इस कारण नाले का प्रवाह अवरुद्ध हो गया। इससे शहर में जब जल जमाव की स्थिति विकराल रूप धारण करने लगी, तब स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से लेकर कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया।
इसके बाद एनजीटी ने एक कार्रवाई के तहत यह आदेश दिया कि खनुआ नाले पर बनी सभी 286 दुकानों को तोड़कर खनुआ नाले को वास्तविक स्वरूप प्रदान किया जाए। इसको लेकर जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है। दुकानदारों को धीरे-धीरे नोटिस थमाया जा रहा है। एक लाइन की नोटिस में यह कहा जा रहा है कि आपकी अनुज्ञप्ति रद्द की जाती है। आप दुकानों को खाली कर दें।
वहीं कई लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत किया है, लेकिन कई लोगों ने यह भी समस्या उठाई है कि दुकानों को इस तरह से तोड़े जाने से दुकानदार बेरोजगार हो जाएंगे। उन्हें दोबारा रोजगार दिलाने के लिए जिला प्रशासन को बंदोबस्ती करनी चाहिए। लेकिन जिला प्रशासन की मनमानी है कि न तो उनको मुआवजा दिया जा रहा है और न ही उनको कहीं पुन: स्थापित किया जा रहा है इससे उनके सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
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