MUZAFFARPUR (ARUN KUMAR) : सूबे में तेजी से ब’ढ़ते आप’राधिक मामले घो’र चिं’ता का विषय बने हैं. जिस तरह प्रदेश में ह’त्या, लू’ट, छि’नतई, डकै’ती और चो’री के मामले ब’ढ़े हैं उससे लगता है कि अपरा’धियों के मन में पुलिस प्रशासन का कोई भ’य है ही नहीं. मामला और भी गंभी’र इसलिए हो जाता है क्योंकि मुख्यमंत्री की ओर से ब’ढ़ते अपरा’धों पर नारा’जगी ज’ताने और इनको रो’कने के लिए कठो’र कदम उठाने के निर्दे’शों के बावजूद व्यवस्था पट’री पर नहीं आ पा रही है.
बिहार में बढ़ते अप’राध से बिग’ड़ते हाला’त के सबू’त इतने खुले रूप में सामने आ रहे हैं कि राज्य सरकार अब उन्हें अपने किसी ग’ढ़े हुए आंकड़ों के ज़रिये भी न’कार नहीं सकती है. बिहार में बढ़ती आप’राधिक घट’नाओं के बाद बिग’ड़ती कानू’न-व्यवस्था पर सवा’ल उठ रहे हैं. इसी कारण बीते दिनों मुख्यमंत्री ने पुलिस और प्रशासनिक महकमे को झकझो’रने वाली हाई लेवल मीटिंग बुलाईं और अधिकारियों को बेक़ा’बू होती जा रही स्थिति को संभा’लने के स’ख्त निदे’श दिए. उसके बाद से पुलिस मुख्यालय ए’क्शन मोड में है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशा-निर्दे’श पर DGP ने बीते गुरुवार को सभी ज़िलों के एसएसपी/एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर कई बिं’दुओं पर गहन समी’क्षा की. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने बैठक में दिये गए निर्दे’श की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राज्य में अप’राध नियं’त्रण और वि’धि व्यव’स्था संधा’रण को लेकर पुलिस मुख्यालय ने बड़ा ए’क्शन प्ला’न तैयार किया है. मुख्य रूप से रात्रि ग’श्ती को लेकर सभी जिलों के अधिकारियों को दिशा-निर्दे’श दिये गए हैं. रात्रि ग’श्ती के लिए अब रेंज डीआइजी से लेकर रेंज आइजी स्तर के अधिकारी भी सड़कों पर निकलेंगे और औ’चक निरी’क्षण के साथ ही ग’श्ती का जायजा लेंगे.
बता दें कि पुलिस मुख्यालय में वीसी के माध्यम से डीजीपी एसके सिंघल के निर्दे’शन में सभी जिलों के डीएसपी, एसपी, एसएसपी से लेकर डीआइजी और आइजी स्तर के अधिकारियों को सीएम के निर्दे’श से अव’गत कराया गया है. इसके तहत एसएसपी/एसपी अपने जिलों के लिए ए’क्शन प्ला’न के तहत अपराध नियं’त्रण को लेकर यथोचित का’र्रवाई करेंगे. सम्बंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भी रात में निकल कर सुर’क्षा की जां’च करनी होगी.
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार ने बताया कि बड़े अधिकारियों के अलावा पहले से गश्ती के लिए निकलने वाले छोटे स्तर के पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस वाहनों की भी मॉनिटरिंग की जायेगी. सभी पुलिस वाहनों में जीपी’एस के आधार पर मॉनिटरिंग की जाएगी. उन्होंने जानकारी दी कि कुछ का’र्रवाई पहले से शुरू की गई है. इनकी मॉनिटरिंग के लिए आगे मुख्यालय स्तर से अभि’यान चलाया जायेगा. लाप’रवाही बर’तने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर अनुशास’नात्मक का’र्रवाई होगी. पुलिस मुख्यालय के निर्दे’श पर सभी जिलों में विभिन्न मा’मलों के आरो’पितों की गिर’फ्तारी करने का अभि’यान भी चलाया जाएगा.
बता दें की ऐसा पहली बार नहीं है जब सुशासन वाली सरकार के स’ख्त ते’वर पर ब’ढ़ते अप’राध पर नियं’त्रण हेतु वरीय अधिकारियों को सड़कों पर उत’रने की बात कही गई है. जुलाई 2019 में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सूबे के सभी पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस उपमहानिरीक्षकों को हफ्ते में 3 दिन, पुलिस अधीक्षक/ वरीय पुलिस अधीक्षकों को हफ्ते में 4 दिन और पुलिस उपाधीक्षकों को हफ्ते में 5 दिन सड़कों पर उत’रते हुए ग’श्ती का अवलो’कन करने का आदेश जारी किया था और कहा था की अनुमंडल और थाना स्तर पर समी’क्षा करें कि अप’राध की घट’नाओं में कमी क्यों नहीं आ रही है?
जिलों के पुलिस कप्तानों को खुद पुलिस ग’श्ती की मॉनिटिरिंग करने के आदे’श दिए गए थे. परन्तु मुख्यालय द्वारा पारित यह आदे’श केवल हवा-हवाई सा’बित हुआ और कागजों तक ही सी’मित रह गया. धरातल पर अब तक इसके कोई सुख’द और सा’र्थक परिणाम सामने नहीं आयें. जोनल आईजी नैयर हसनैन खान द्वारा मुजफ्फरपुर प्रतिनियुक्ति के कुछ समय बाद ही मई 2019 में मुजफ्फरपुर समेत तिरहुत जोन (अब तिरहुत रेंज) में शामिल सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों यथा एसपी, डीएसपी को रो’स्टर आधार पर रात्रि ग’श्ती के अवलोकन और थानों के औ’चक नि’रीक्षण हेतु निदे’शित किया गया था, पर उक्त आदे’शों का कितनी गंभी’रता से अनुपा’लन किया गया, सर्वविदित है.
मुजफ्फरपुर की बात करें तो रात्रि ग’श्ती की तत्प’रता और मुस्तै’दी फोटो के साथ अख़बारों की सु’र्खियां बन चुकी हैं. जिस प्रकार से दरभंगा में ही दिनद’हाड़े 7 करोड़ की लू’ट हुई उससे पुलिस के चु’स्ती-मुस्तै’दी के दा’वों पर ही स’वाल उठने लगे हैं. ऐसा लाजि’मी भी है क्योंकि पुलिस के आला अधिकारी खुद रात को बाहर निकलने का दा’वा करते हैं. यदि ऐसा है तो फिर कैसे व्यस्त’तम बाज़ारों में ही दुकानों में आसानी से हथि’यार लहराते हुए अप’राधी लू’ट के सामान लेकर साफ ब’च निकल जा रहे हैं.
जाहिर है कि निर्दे’श जारी करने और इन्हें धरा’तल पर उतारने में जमीन-आसमान का अंत’र है. लगातार ब’ढ़ रहे अप’राधों से पुलिस की पूरी ही पूरी कार्यप्रणा’ली पर भी सवा’ल उठ रहे हैं. पुलिस कप्तानों से लेकर थानाध्यक्षों तक की सीधे जि’म्मेदारी त’य होनी चाहिए. रात्रि ग’श्ती और वरीय अधिकारियों को जो निर्दे’श दिए गए हैं उनके अनुपा’लन की स्थिति की जां’च होनी चाहिए. लाप’रवाही और कर्तव्यही’नता पाए जाने वाले अधिकारियों को ह’टाकर उनकी जगह कर्त’व्यनिष्ठ अधिकारियों को प’दस्थ करना चाहिए. जिसके लिए प्रब’ल राजनी’तिक इच्छा शक्ति भी अनि’वार्य है.
Be First to Comment