एमपी के भिंड में दो पत्रकारों की पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दोनों पत्रकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने मामले में भिंड एसपी को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 9 जून को होगी.

मामला भिंड के पत्रकार शशिकांत जाटव व अमरकांत सिंह चौहान से जुड़ा है. दोनों ने चंबल नदी में रेत माफिया के अवैध कारोबार की खबरें प्रकाशित की थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि इसी बात से नाराज होकर भिंड पुलिस ने उन्हे एसपी कार्यालय में बुलाकर मारपीट कर धमकाया.



हालांकि, एसपी असित यादव ने इन आरोपों का खंडन किया है. इसके बाद स्वयं को जान का खतरा बताते हुए दोनों पत्रकार अपना घर छोड़कर दिल्ली आए. सुप्रीम कोर्ट व दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद 28 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने अमरकांत सिंह चौहान को सुरक्षा प्रदान की थी.


हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अमरकांत सिंह चौहान को दो महीने के लिए सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे. आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि जान का खतरा है तो कोर्ट उनकी रक्षा करेगा, लेकिन पहले तीन पहलुओं पर स्पष्टीकरण देना होगा. दोनों को जान का खतरा कैसे साबित होता है.


याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश हाईकोर्ट क्यों नहीं गए और पहले से लंबित दिल्ली हाईकोर्ट में मामला क्यों नहीं रखा. पत्रकारों की ओर से वकील वारिशा फराजत ने कोर्ट को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की ओर से जारी बयान व 27 मई को मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर का हवाला दिया. कोर्ट ने टिप्पणी की कि बिना भिंड एसपी को पक्षकार बनाए उन पर आरोप लगाना अनुचित है.


इसके बाद वकील ने माफी मांगते हुए एसपी को पक्षकार बनाने की सहमति दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका में जो बातें बताई गई थीं. वह शुरुआती उल्लेख में कही गई बातों से मेल नहीं खा रहीं. इसके बावजूद कोर्ट ने अगली सुनवाई 9 जून को तय की है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है.

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