अगले माह अक्टूबर महीने में दीपोत्सव मनाया जाएगा। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जिससे घर में धन,सुख-समृद्धि का वास होता है। दिवाली के मौके पर गजलक्ष्मी माता की पूजा करना शुभ फलदायी माना गया है।
महाकाल की नगरी उज्जैन में मां लक्ष्मी का एक बहुत ही प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर हैं। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां माता लक्ष्मी गज पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। मंदिर में मां लक्ष्मी सफेद हाथी पर विराजमान हैं, वहीं लक्ष्मीजी के पास श्रीहरि विष्णुजी की भी काले पाषाण की मूर्ति प्रतिष्ठापित है।दीपोत्सव के पर्व पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है और यहां खास परंपरा भी निभाई जाती है। दिवाली के मौके पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। बता दें कि गजलक्ष्मी मंदिर उज्जैन के बीचोबीच पेठ इलाके में स्थित है। गजलक्ष्मी स्वरूप में देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद चिर स्थाई माना जाता है।
दीपोत्सव पर होती है विशेष परंपरा : गजलक्ष्मी मंदिर में दीपोत्सव के पर्व पर विशेष परंपरा निभाई जाती है। 5 दिनों के दीपोत्सव पर्व में यह मंदिर चौबीस घंटे के लिए खुला रहता है। दिवाली के दिन देवी को दूध से स्नान कराया जाता है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का भव्य शृंगार किया जाता है। मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को बरकत के लिए सिक्के बांटे जाते हैं। वहीं, सुहागिनों को कंकू और चूड़ियां भी भेंट के रूप में दिया जाता है।
मान्यता है कि गजलक्ष्मी माता के दर्शन से भक्तों को धन, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। दीपावली के दिन पहला बही खाता माता के दरबार से लिखा जाता है। इस पर्व से नए बही खाते की शुरुआत होती है। मान्यताओं के अनुसार, यहां से नए काम को आरंभ करने से सभी कार्य शुभ और मंगलकारी होते हैं। जिससे पिछले दो दशकों से व्यापारी देवी लक्ष्मी के दरबार से बही खाते की शुरुआत करते हैं।
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