डीजीपी की कुर्सी संभालते ही विनय कुमार पूरे एक्शन में हैं. स्पीडी ट्रायल में तेजी लाने को लेकर युद्ध स्तर पर काम हो रहा है. डीजीपी ने वैसे पुलिस अधिकारियों पर सख्ती बरतने का प्लान बना लिया है जो न्यायालय में अपने बयान से पलट जाते हैं. कोर्ट में बयान से पलटने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी है. बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि स्पीडी ट्रायल में तेजी लाने को लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं. इसके लिए सबसे पहले को-ऑडिनेशन बनाने की जरूरत है. पुलिस,अभियोजन और ज्यूडिसियरी में आपसी तालमेल का होना बेहद जरूरी है. इसके लिए तीनों विंग का संयुक्त वर्कशॉप कराया जायेगा. गवाह सुरक्षा को लेकर काम किया जायेगा. इतना ही नहीं बयान से पलटने वालों पर भी सख्ती बरती जायेगी. खासकर पुलिस के गवाह जो सरकारी गवाह होते हैं, वे भी कोर्ट में पलट जाते हैं. वैसे पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई की जायेगी. डीजीपी ने बताया कि जिला स्तर पर स्पीडी ट्रायल सेल को और सशक्त बनाया जाएगी. डेडिकेटेड इंस्पेक्टर की तैनाती की जाएगी, साथ ही वाहन दिए जायेंगे. यह सेल गवाहों को सुरक्षित कोर्ट तक पहुंचाने का काम करेगा. पुलिस मुख्यालय में भी स्पीडी ट्रायल सेल में जिम्मेदार अधिकारी तैनात किए जाएंगे. दरअसल, आज 20 दिसंबर को गृह विभाग ने प्रेस कांफ्रेस बुलाया था. प्रेस कांफ्रेंस में गृह विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी,सूबे के नवनियुक्त डीजीपी विनय कुमार,एडीजी कुंदन कृष्णन समेत गृह और पुलिस के कई बड़े अधिकारी मौजूद थे. इस दौरान गृह विभाग के प्रधान सचिव ने 2024 में सरकार की उपलब्धियों का बखान किया. बताया कि बिहार में अपराध के ग्राफ में गिरावट आई है. डकैती में 15.36 फीसदी, चोरी में 5.93 फीसदी एवं दंगा में 15.82 फीसदी की कमी आई है. वहीं नक्सल गतिविधियों में भी भारी कमी आई है.
गृह सचिव ने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा से संबंधित अपराधों में पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड में 285 अभियुक्तों की गिरफ्तार किए गए हैं. नीट-2024 में 15, सिपाही भर्ती परीक्षा जो केंद्रीय चयन पर्षद द्वारा ली गई थी, इस परीक्षा के पेपर लीक कांड में 14 अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं. 67वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक में 18 और सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी परीक्षा पेपर लीक मामले में 36 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. इसके बाद बिहार के गृह सचिव अरविंद चौधरी से पूछा गया कि सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड में तत्कालीन डीजीपी का नाम आया था…जांच एजेंसी ने पूछताछ को लेकर कार्रवाई भी शुरू की थी. उस मामले में क्या हुआ…क्या उन्हें बचा लिया गया ? आखिर पैमाना क्या था…किसी को बचा लिया जाता है. न्यायालय से क्लीनचिट मिलने से पहले ही किसी अधिकारी को बरी कर दिया जाता है. आखिर सरकार का पैमाना क्या है ? पत्रकारों के इस तल्ख सवाल से गृह सचिव अरविंद चौधरी भौंंचक रह गए. उन्होंने सवाल को भरपूर टालने की कोशिश की. पत्रकार बार-बार भ्रष्टाचार वाले मामले पर जवाब देने का आग्रह करते रहे. लेकिन वो इस सवाल चुप्पी साध लिए. इसी के साथ प्रेस कांफ्रेंस को खत्म कर दिया गया.
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