पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) से 2023 में चयनित 46 शिक्षिकाओं को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। ये सभी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों की रहने वाली हैं और बिहार के औरंगाबाद जिले में तैनात थी। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) दयाशंकर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश की मूल निवासी सामान्य वर्ग की इन महिला टीचर को विभागीय नियमों के खिलाफ जाकर 5 फीसदी ग्रेस मार्क्स दिए गए थे।
बीपीएससी की ओर से साल 2023 में शिक्षक बहाली का विज्ञापन निकाला गया था। इसमें बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों को भी मौका दिया गया। इस विज्ञापन में बताया गया था कि चयन के लिए अभ्यर्थी का न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य है। सिर्फ बिहार की महिला, एससी/एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को इसमें पांच फीसदी ग्रेस मार्क्स की छूट दी गई थी।
मगर यूपी की रहने वाली कुछ महिला अभ्यर्थियों ने नियमों के खिलाफ जाकर 5 फीसदी ग्रेस मार्क्स मिल गए और उनका शिक्षक बहाली में चयन कर लिया गया। जब शिक्षा विभाग के कुछ पदाधिकारियों ने यह गड़बड़ी देखी तो उन्होंने चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट का रुख कर रिट याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने भर्ती नियमावली में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद 15 मई को बिहार के शिक्षा निदेशक द्वारा एक पत्र जारी किया गया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि बिहार राज्य के बाहर के उम्मीदवार 5 फीसदी ग्रेस मार्क्स के पात्र नहीं हैं।
नियमों के खिलाफ जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 46 अभ्यर्थियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने टीईटी में 60% अंक प्राप्त नहीं किए हैं, जो बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य हैं। औरंगाबाद के डीपीओ दयाशंकर सिंह ने बताया कि इसके बाद 46 शिक्षिकाओं की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया। उनका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए जाने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है।
एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि अधिकारियों की गलती की वजह से इन उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देकर पास कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। गरीब परिवारों की बेरोजगार लड़कियों के साथ भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की साजिश उजागर होनी चाहिए।
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