पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में बीजेपी और जेडीयू के सांसदों को चार लोकसभा सीटों पर आरजेडी गठबंधन के नए लड़ाके चुनौती दे रहे हैं। तीसरे चरण में बिहार की 5 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है, जिनमें से चार पर मौजूदा सांसद मैदान में हैं। ये सभी एनडीए के उम्मीदवार हैं। इनके सामने इंडिया गठबंधन ने नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मधेपुरा, झंझारपुर, अररिया, सुपौल और खगड़िया सीट पर 7 मई को मतदान होना है। इसमें से सिर्फ खगड़िया से एनडीए ने नए कैंडिडेट लोजपा रामविलास के राजेश वर्मा को मौका दिया है। इनके खिलाफ सीपीएम ने संजय कुमार को उतारा है। संजय का भी यह पहला लोकसभा चुनाव है।
2019 के लोकसभा चुनाव में खगड़िया से लोजपा के महबूब अली कैसर ने यहां से जीत दर्ज की थी। मगर चाचा-भतीजे की लड़ाई में यह सीट चिराग पासवान की पार्टी में चली गई। लोजपा में टूट के बाद महबूब अली कैसर चाचा पशुपति पारस के साथ रहे, इस वजह से उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिल पाया।
यादव बाहुल्य मधेपुरा लोकसभा सीट से जेडीयू ने जहां मौजूदा सांसद दिनेश चंद्र यादव पर भरोसा जताया, वहीं आरजेडी ने प्रोफेसर चंद्रदीप को मैदान में उतारा है। दिनेश चंद्र चार बार सांसद रह चुके हैं और मधेपुरा से मौजूदा एमपी हैं, उनका मुख्य मुकाबला पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे चंद्रदीप से है।
झंझारपुर सीट की बात करें तो यहां पर जेडीयू ने मौजूदा सांसद रामप्रीत मंडल को दोबारा टिकट दिया है। महागठबंधन में यह सीट वीआईपी के खाते में गई, मुकेश सहनी की पार्टी ने यहां से सुमन महासेठ को टिकट दिया है। सुमन पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, पिछली बार आरजेडी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके गुलाब यादव भी बसपा के टिकट पर यहां से ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में उन्होंने महागठबंधन की परेशानी बढ़ा दी है।
सीमांचल की अररिया लोकसभा सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद प्रदीप सिंह को फिर से प्रत्याशी बनाया है। उनके खिलाफ आरजेडी ने शाहनवाज आलम को टिकट दिया है। शाहनवाज वैसे तो मंत्री रह चुके हैं, लेकिन लोकसभा के चुनावी मैदान में पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं। इसी तरह सुपौल लोकसभा सीट पर जेडीयू ने मौजूदा सांसद दिलेश्वर कामत को फिर से मैदान में उतारा है। आरजेडी ने उनके खिलाफ चंद्रहास चौपाल को उतारा है, जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
देखा जाए तो एनडीए के प्रमुख दल जेडीयू और बीजेपी ने अधिकतर सीटों पर अपने पुराने नेताओं पर भरोसा जताया। मगर महागठबंधन ने इस बार नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसका कारण यह भी है कि महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच इस चुनाव में सीटों की अदला-बदली हुई। इससे कई सीटों पर उम्मीदवार बदल गए। इस चुनाव में नए उम्मीदवारों का उत्साह भारी पड़ेगा, या फिर पुराने दिग्गजों के आगे वे कमजोर पड़ जाएंगे, इसका खुलासा तो 4 जून को लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद ही हो पाएगा।
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