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मिड-डे मील योजना: 100 बच्चों पर केवल 50 थाली, बाकी 50 बच्चे थाली का करते हैं इंतजार

मिड डे मील योजना के तहत मध्य विद्यालय मुसहरी में सौ बच्चे के बीच स्कूल के पास सिर्फ 50 बच्चों के लिए ही खाने की थाली है। ऐसे में शेष बच्चे को खाने के लिए थाली का इंतजार करना पड़ता है। यह स्थिति किसी राज्य के आधे से अधिक स्कूलों की है। राज्य के सभी जिलों के प्राथमिक और मध्य विद्यालय में नामांकन तो बढ़ा, लेकिन मध्याह्न भोजन के तहत थाली की संख्या नहीं बढ़ाई गयी। ऐसे में जितनी थाली पहले से है, उसी से स्कूल प्रशासन को काम चलाना पड़ रहा है।

मिड-डे मील में होगा सुधार, भोजन व्‍यवस्‍था में इस बदलाव से बच्‍चों को होगा  फायदा - Mid Day Meal : Mid day meal will improve Children will benefit from  this change in

मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय के अनुसार 2013 के बाद थाली की खरीद नहीं हुई है। हर साल नामांकन बढ़ रहा है। इससे स्कूलों में थाली की कमी हो गयी है। बता दें कि राज्य में 72 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं। इसमें 40 हजार स्कूलों में थाली की कमी है। कई स्कूलों में बच्चों को खुद ही थाली धोकर लाने को कहा जाता है। इसकी जानकारी जिला शिक्षा कार्यालय के साथ मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय को स्कूल प्रशासन कई बार दे चुका है।

भारती मध्य विद्यालय लोहियानगर में 155 बच्चे हैं। हर दिन 120 से 125 बच्चे आते हैं। 75 बच्चों के खाने के लिए ही थाली है। शेष थाली मिलने का इंतजार करते है। स्कूल में पहले आओ पहले पाओ के तहत मध्याह्न भोजन दिया जाता है।राजकीय कन्या मध्य विद्यालय अदालतगंज में 654 छात्राएं हैं। हर दिन साढ़े पांच सौ आती हैं। आधे को ही थाली में खाना मिल पाता है। शेष थाली मिलने का इंतजार करते है। कई बार रसोइया बच्चों से थाली धो कर लाने को कहती है तभी खाना मिलता है।

मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय निदेशक मिथिलेश मिश्र ने कहा कि मध्याह्न भोजन में थाली की कमी है, इसकी जानकारी है। स्कूल के हर बच्चे के लिए थाली का इंतजाम किया जाएगा।

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