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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- जातीय गणना की रिपोर्ट को सदन में रखेंगे, फिर तैयार होगा रोडमैप

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि जातीय गणना की रिपोर्ट आगामी शीतकालीन सत्र  के दौरान विधान मंडल के दोनों सदनों में रखा जाएगा। इस पर सभी दलों से विचार विमर्श कर विकास की रूपरेखा भी तैयार होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेपी जयंती के अवसर पर जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद कहा कि विधायकों से प्रतिक्रिया लेने के लिए सब कुछ सदन के समक्ष रखा जाएगा। हमने सभी को निष्कर्षों से अवगत कराने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। अब इसे सदन में रखा जाएगा। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद अन्य राज्यों में भी इसे कराने की मांग बढ़ रही है।

Caste census survey 20 percent work remaining in Bihar know by when it will  be completed - बिहार में जातिगत गणना का 20 फीसदी काम शेष, जानिए कब तक होगा  पूरा , बिहार न्यूज

नीतीश कुमार ने कहा कि सदन के पटल पर सभी निष्कर्ष रखने से पहले वह इस तरह की किसी भी बात पर टिप्पणी नहीं करेंगे। हम सभी की बात सुनेंगे और वे तय करेंगे कि आगे क्या करना है। सरकार को जो भी करना होगा वह किया जाएगा, लेकिन मैं इस समय उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। बता दें कि बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि जातीय गणना के आंकड़ों  की समीक्षा की जरूरत सरकार ने महसूस नहीं की है और सरकार उचित समय पर सभी आंकड़े जारी करेगी।

क्षेत्रीय पार्टियों को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान पर नीतीश कुमार ने कहा कि पूरा मीडिया पर कब्जा कर लिया गया है। मैं कोई स्टेटमेंट नहीं देखता हूं। किसी के चाहने से कुछ नहीं होगा, बीजेपी के लोग क्या-क्या बोलते हैं, हम उस पर ध्यान नहीं देते। वहीं सीएम नीतीश ने बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उसके (सम्राट चौधरी) बाप को इज्जत मैंने दिया। उसकी उम्र कम थी तो उसके पिता जी ने मंत्री बनाया। रोज पार्टी बदलता है, उसके बात का कोई मतलब है, उसके पास कोई सेंस नहीं है, अंड-बंड बोलता बोलता है। नीतीश कुमार ने आगे कहा कि उसकी चर्चा मत करिए, आपने  सवाल पूछा तो मैंने आपको बता दिया।

इस बीच राज्य के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने नीतीश सरकार पर जातीय गणना के आंकड़ों में लगभग 50 प्रतिशत आबादी की अनदेखी करने और अपने हितों के अनुरूप काल्पनिक डेटा पेश करने का आरोप लगाया है। मांझी ने कहा है कि पहले मैंने सोचा था कि लगभग 25% आबादी छूट गई होगी, लेकिन अब यह 50% तक लग रहा है। जिन लोगों को सर्वे से फायदा होगा, वो तो पक्ष में बोलेंगे ही, लेकिन जिनके नंबर कम हुए हैं वो इसका विरोध जरूर करेंगे। अगर मौजूदा आंकड़ों को स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी सरकार को अपना रोडमैप पेश करना चाहिए और सभी जातियों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए कैबिनेट का पुनर्गठन करना चाहिए।

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