इनमें कुछ फेमस ऐप्स जैसे TikTok, Vigo Video, Bigo Live, We Chat, Shareit, UCNews, UC Browser जैसे ऐप शामिल हैं।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंटेलिजेंस एजेंसियों की ओर से दिया गए प्रस्ताव का समर्थन नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रेटिएट ने भी किया है, जिसका मानना है कि ये एप भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा, ”प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है।” उन्होंने यह भी विस्तार से बताया कि सभी मोबाइल एप के मानक और उससे जुड़े जोखिम की जांच की जाएगी।
रडार पर ये एप्स
TikTok, Vault-Hide, Vigo Video, Bigo Live, Weibo
WeChat, SHAREit, UC News, UC Browser
BeautyPlus, Xender, ClubFactory, Helo, LIKE
Kwai, ROMWE, SHEIN, NewsDog, Photo Wonder
APUS Browser, VivaVideo- QU Video Inc
Perfect Corp, CM Browser, Virus Cleaner (Hi Security Lab)
Mi Community, DU recorder, YouCam Makeup
Mi Store, 360 Security, DU Battery Saver, DU Browser
DU Cleaner, DU Privacy, Clean Master – Cheetah
CacheClear DU apps studio, Baidu Translate, Baidu Map
Wonder Camera, ES File Explorer, QQ International
QQ Launcher, QQ Security Centre, QQ Player, QQ Music
QQ Mail, QQ NewsFeed, WeSync, SelfieCity, Clash of Kings
Mail Master, Mi Video call-Xiaomi, Parallel Space
इस साल अप्रैल में गृह मंत्रालय ने जूम के इस्तेमाल को लेकर एक अडवाइजरी जारी की थी। मंत्रालय ने यह अडवाइजरी नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम इंडिया (CERT-in) के प्रस्ताव पर जारी की थी। भारत पहला देश नहीं है जिसने सरकार में जूम एप के इस्तेमाल पर रोक लगाई। इससे पहले ताइवान ने भी सरकारी एजेंसियों को जूम एप के इस्तेमाल से रोक दिया। जर्मनी और अमेरिका भी ऐसा ही कर चुके हैं। कंपनी ने गृह मंत्रालय की अडवाइजरी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह यूजर्स की सिक्यॉरिटी को लेकर गंभीर है।
सिक्यॉरिटी से समझौता करने वाले मोबाइल एप्स पर कार्रवाई की मांग उठती रही है। वीडियो शेयरिंग एप के स्वामित्व वाली चाइनीज इंटरनेट कंपनी बाइट डांस जैसी कंपनियां इससे इनकार करती रही हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि चाइनीज डिवेलपर्स की ओर से तैयार या चाइनीज लिंक्स वाले एप भले ही वह एंड्रॉयड के लिए हों या आईओस के लिए, इनका इस्तेमाल स्पाइवेयर या अन्य नुकसान पहुंचाने वाले वेयर के रूप में हो सकता है।
ऐसी खबरें हैं कि सिक्यॉरिटी एजेंसियों ने सुरक्षाकर्मियों को इन चीनी एप्स का इस्तेमाल ना करने की सलाह दी है क्योंकि इससे उनकी डेटा सिक्यॉरिटी को खतरा है। चीन से जुड़े हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को लेकर पश्चिमी देशों की सुरक्षा एजेंसियां भी इसी तरह की चिंता जता चुकी हैं। एक तर्क यह भी दिया जाता है कि युद्ध की स्थिति में इनके जरिए कम्युनिकेशन सर्विसेज को नुकसान पहुंचा सकता है।
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