गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में हरी सब्जियों की प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक से खेती की जाएगी। सब्जियों की उन्नत खेती के लिए जिला उद्यान विभाग ने 75 हेक्टेयर में प्लास्टिक मल्चिंग पर सब्जियों की खेती की योजना तैयार की है। इस पर गोभी, टमाटर, मिर्च, पत्ता गोभी, प्याज की खेती की जाएगी। प्लास्टिक मल्चिंग खेती में सब्जियां तापमान में असामान्य परिवर्तन, जमीन में नमी की कमी, खेतों में उगने वाले हानिकारक खर-पतवार व कीटों से सुरक्षित रहेंगी। इससे बेहतर उत्पादन भी होगा। जिला उद्यान विभाग ने प्लास्टिक मल्चिंग से खेती करने वाले किसानों के लिए अनुदान देने की भी व्यवस्था की है।
क्या है प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक
पतली पॉलिथीन खेत में बिछाकर कुछ दूरी पर छेद करने के बाद सब्जियों के पौधे रोपे जाते हैं। खेत में प्लास्टिक मल्च बिछाने से पूर्व उसकी जुताई कर खेत को समतल किया जाता है। खेत में सब्जियों के लिए अनुशंसित मात्रा में खाद पहले ही डाल दिया जाता है। बाद में इस पर सिंचाई के लिए ड्रिप लाइन बिछाई जाती है। प्लास्टिक शीट को खेत में एक सिरे पर मिट्टी से दबा दिया जाता है।
कई तरह की होती है प्लास्टिक मल्च
प्लास्टिक मल्च का कलर काला, पारदर्शी, दूधिया, नीला, लाल आदि होता है। यह क्षेत्र विशेष की जलवायु व जरूरत के आधार पर खेतों में बिछाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार काली प्लास्टिक मल्च भूमि में नमी को बरकरार रखने, खरपतवार से बचाने व तापमान को नियंत्रित रखने में सहायक है। पारदर्शी प्लास्टिक का प्रयोग धूप को अवशोषित करने के लिए जाड़े के मौसम में किया जाता है।
किसानों को मिलेगा पचास फीसदी अनुदान
प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक से खेती करने के इच्छुक किसान को पचास प्रतिशत अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। जिला उद्यान विभाग के अनुसार एक हेक्टेयर में प्लास्टिक मल्च बिछाने पर करीब 34 हजार रुपए की लागत आती है। इसमें किसानों को 17 हजार रुपए अनुदान देने की व्यवस्था की गई है।
प्लास्टिक मल्चिंग के फायदे
– इस तकनीक से जमीन की एक समान नमी बनी रहती है
– खेत की सतह पर बिछी प्लास्टिक रोकता है वाष्पीकरण
– कई तरह की हानिकारक खर-पतवार खेत में नहीं उगते
– भूमि कठोर नहीं होती जिससे पौधे का होता है विकास
– फसलों के विकास के लिए मिलती है अनुकूल स्थिति
गोपालगंज के जिला उद्यान पदाधिकारी नियाज अहमद ने कहा कि जिले के सब्जी उत्पादक किसानों को प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती के लिए पचास फीसदी अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। इससे सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। यह काफी हद तक सुरक्षित और अधिक उपज देने वाली तकनीक है।
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