बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए यह साल सुखद रहा। बाघों का कुनबा बढ़ा और इसकी संख्या 45 से बढ़कर 54 हो गई। वर्तमान में वीटीआर में 10 शावक भी हैं। इनके सुरक्षित रहने व बड़े होने पर बाघों का कुनबा और बढ़ेगा। पर वीटीआर में बाघों का कुनबा कैसे बढ़ा? जानकार बताते हैं कि ग्रासलैंड बढ़ने से शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी तो बाघों को आसानी से शिकार मिलने लगा। इसी कारण से यहां बाघों की संख्या बढ़ी है।
वीटीआर से जुड़े पदाधिकारी बताते हैं कि यहां इन दिनों बाघों के लिए आसानी से शिकार उपलब्ध है। 24 सौ हेक्टेयर में ग्रासलैंड से शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ रही है। दो हजार से अधिक हिरण, चीतल, सांभर आदि शाकाहारी जानवर बढ़े हैं। इनके बढ़ने से बाघों के लिए भोजन की व्यवस्था सुगम हो गई है। इस साल एक हजार हेक्टेयर में ग्रास लैंड बढ़ाया गया है। यह पूर्व में 14 सौ हेक्टेयर तक सिमटा हुआ था। बाघों के रखरखाव को लेकर बीते वर्ष 2022 में वीटीआर वेरी गुड कैटेगरी से खिसक कर गुड पर आ गया था। इस बार विश्व बाघ दिवस पर जारी रैंकिंग में इसे फिर से वेरीगुड के कैटेगरी में शामिल कर लिया गया है। वीटीआर के डायरेक्टर डॉ. नेशामणि के ने बताया कि वीटीआर के जंगलों में बेहतर प्रबंधन व सुरक्षा-संरक्षा के कारण बाघों की संख्या बढ़ी है। आगे भी इस पर काम किया जाएगा, ताकि संख्या में बढ़ोतरी जारी रहे।
सात फीसदी हुआ वीटीआर में ग्रासलैंड का दायरा
वीटीआर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 890 वर्ग किलोमीटर में वीटीआर का जंगल फैला हुआ है। इसमें 24 सौ हेक्टेयर में अब तक ग्रासलैंड तैयार किया जा चुका है। यह जंगल क्षेत्रफल का सात फीसदी बताया जा रहा है। ऐसा करने से शाकाहारी जानवरों के लिए भोजन आसानी से उपलब्ध हो रहा है। इससे उनका प्रजनन बढ़ रहा है। उनके जरिये बाघों को आसानी से भोजन मिल रहा है।
बाघों की सुरक्षा वीटीआर प्रशासन के लिए चुनौती
जानकारी के अनुसार, जंगल में बाघों की सुरक्षा वीटीआर प्रशासन के लिए चुनौती है। दर्जनों बार लाठीधारी वनकर्मियों से शिकारियों व तस्करों की भिड़ंत हो चुकी है। इसमें अत्याधुनिक हथियार से लैस शिकारी वनकर्मियों पर भारी पड़ते हैं। इसको लेकर सशस्त्र टाइगर फोर्स का गठन किया जाना है। इस फोर्स में 90 जवानों की टीम शामिल होगी। काफी दिनों से टाइगर फोर्स के गठन की प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। डायरेक्टर ने बताया कि इसके लिए पत्राचार किया जाएगा।
जंगल में 15 साल होती है बाघों की उम्र
जंगल में 15 साल के आसपास ही बाघों की उम्र होती है। सर्दी का मौसम बाघों के प्रजनन के लिए बेहतर माना जाता है। गर्भवर्ती बाघिन औसतन 103 दिनों में शावकों को जन्म देती है। बाघिन औसतन दो शावकों को जन्म देती है। जन्म के बाद शिकार के लिए शावक बाघिन पर निर्भर होते हैं। शावकों को जन्म देने के समय बाघिन बाघ से अलग हो जाती है। कारण कि बाघ से शावकों को खतरा होता है। जन्म के बाद शिकार करना सिखाने के बाद बाघिन शावकों को जंगल में छोड़ देती है।
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