पटना में कई ऐसे ऐतिहासिक और अतिप्राचीन शिवालय हैं. जहां, सावन माह में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जलाभिषेक को उमड़ती हैं। इनमें पटना के खाजपुरा शिवमंदिर, बिहटा का अतिप्राचीन बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर, खुसरूपुर के बैकटपुर स्थित शिव मंदिर श्री गौरीशंकर बैकुंठनाथ धाम मंदिर, गाय घाट का ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर, मखदुमपुर का बाबा सिद्धनाथ का मंदिर प्रमुख हैं. इन शिवालयों से जहां हर साल सावन के माह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं।
सावन को लेकर शहर के खाजपुरा शिवमंदिर, सिद्धेश्वरी काली मंदिर (बांसघाट), शिव मंदिर चूड़ी मार्केट, पंचरूपी शिव मंदिर कंकड़बाग आदि मंदिरों की भव्यता देखते बन रही है. रंग-बिरंगे कृत्रिम बल्बों से मंदिरों को सजाया गया है।
बेली रोड स्थित खाजपुरा स्थित शिव मंदिर की बेली रोड स्थित खाजपुरा के शिव मंदिर की भव्यता देखते बनती है। लगभग सवा एकड़ में फैले मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया रोचक रही. खाजपुरा इलाके के जमींदार बदरुल हसन साहब का इंतकाल 1934 में हो गया था. लेकिन उससे पहले उन्होंने मंदिर और मस्जिद दोनों के लिए 1920 में जमीन दान में दी थी. जिस पर आज पटना खाजपुरा शिव मंदिर है. उनके मजार से लगभग 500 मीटर की दूरी पर मस्जिद है, वहीं लगभग 500 मीटर की दूरी पर मंदिर भी अवस्थित है. यह सांप्रदायिक सौहार्द का एक बेहतर उदाहरण है।
खाजपुरा शिव मंदिर में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ मौजूद है
1935 में खाजपुरा शिव मंदिर की स्थापना की गयी थी, जिसे खाजपुरा के ग्रामीण लोगों ने बनवाया था. इसका वर्तमान स्वरूप 1997 का है. गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है और प्रथम में मां दुर्गा, मां अन्नपूर्णा, हनुमान जी सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति हैं. दूसरे तल पर राम दरबार है. इलाके का सबसे पुराना और भव्य शिव मंदिर होने के कारण शिवभक्तों की भीड़ सबसे ज्यादा होती है. खासकर सावन माह यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है. यहां पर भगवान शिव पूरे परिवार के साथ मौजूद है.
बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर में है महाभारत काल का अनूठा पंचमुखी शिवलिंग
बिहटा नगर स्थित महादेवा रोड में स्थापित अतिप्राचीन बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर का शिवलिंग महाभारत काल का अनूठा पंचमुखी शिवलिंग है. करीब ढाई सौ साल पूर्व फ्रांसीसी दार्शनिक डॉ बुकानन ने अपनी किताब में इस मंदिर का जिक्र किया है. बुकानन के मुताबिक सोन नदी के तट पर एक चतुर्मुखी शिवलिंग स्थापित है. कालांतर में सोन नदी में भराव होने से शिव मंदिर जमीन में समा गया. यहां दशनामी परंपरा के संत भी रहा करते थे. यहां श्रावण माह, गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं पूजा करने आते हैं. लोगों का मानना है कि महाभारत काल के समय राज विराट की नगरी में अज्ञातवास करने आये पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर के पूरब दिशा में एक तालाब का निर्माण करवाया गया.
बैकटपुर के बैकुंठनाथ धाम मंदिर के शिवलिंग पर बनी है 12 धारियां
राजधानी पटना से 31 किलोमीटर पूर्व खुसरूपुर के बैकटपुर स्थित शिव मंदिर श्री गौरीशंकर बैकुंठनाथ धाम. जहां शिवलिंग रूप में भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी विराजमान हैं. खुसरूपुर के बैकटपुर स्थित श्री गौरीशंकर बैकुंठनाथ मंदिर ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से इस शिवमंदिर का अलग महत्व है. इस प्राचीन मंदिर की महिमा अतीत के कई युगों से जुड़ी है. इतना ही नहीं इस पूरे शिवलिंग पर कुल 12 धारी बने हुए हैं, एक धारी में छोटे-छोटे सौ शिवलिंग बने हैं कुल मिलाकर 1200 शिवलिंग हैं. छोटे शिवलिंगों को रुद्र कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस बैकुंठनाथ मंदिर जैसा शिवलिंग पूरी दुनिया में कहीं और नहीं है. रामायण में है बैकुंठनाथ मंदिर की चर्चा प्राचीनकाल में गंगा के तट पर बसा यह क्षेत्र बैकुंठ वन के नाम से जाना जाता था. आनंद रामायण में इस गांव की चर्चा बैकुंठा के रूप में हुई है.
भक्तोंं की मुरादे पूरी होती हैं गौरीशंकर मंदिर में
गायघाट स्थित ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर 522 वर्ष से भी अधिक प्राचीन मंदिर है. सावन में रूद्राभिषेक, भागवत व रामकथा, शिवरात्रि में शिव विवाह का अनुष्ठान होता है. अशोक राजपथ पर महात्मा गांधी सेतु से पूर्व की दिशा में यह मंदिर स्थित है. सोमवारी व पूर्णिमा को पर शाम के समय यहां विशेष श्रृंगार होता है. सौम्य ललाट, सिर पर चांद त्रिपुड चंदन आभा विखेरती भगवान गौरीशंकर के दर्शन मात्र से मन की मुरादें पूरी होती हैं. साथ में मां पार्वती भी विराजी है. वास्तुकला की ऐतिहासिकता को संयोजे प्राचीन मंदिर में यू तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन सावन माह में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है.
गौरीशंकर मंदिर में गाय करती थी अभिषेक
ऐसा कहा जाता है कि यहां खरपैल में स्थापित शिव मंदिर की सेवा करने के लिए सोनपुर के हरिहर नाथ मंदिर से एक संत यहां आये थे, संत अपने साथ गऊ को भी लाये थे, गंगा नदी के किनारे मंदिर होने की वजह से गाय प्रतिदिन गंगा में स्नान कर दुग्धाभिषेक करती थी. संत ने जब मंदिर में शरीर त्यागा, तब आसपास के लोगों ने मंदिर के पास ही उनकी समाधि बना दी. जो आज भी मंदिर के पास में विराजमान है. सोमवारी के दिन मंदिर के बाहर सावन सोमवारी का मेला लगता है.
चूड़ी मार्केट शिव मंदिर
कदमकुआं स्थित इस शिव मंदिर की स्थापना लगभग 105 साल पहले हुई थी. मंदिर में बाबा नरमद्धेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है. इस इलाके का प्रमुख शिव मंदिर होने के कारण बड़ी संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं और जलाभिषेक करते हैं. खासकर सावन महीने में यहां ज्यादा भीड़ होती है.
पंच रूपी मंदिर
बोरिंग केनाल रोड स्थित हनुमान मंदिर में शिवलिंग की स्थापना लगभग 50 साल पहले की गयी थी. यहां सावन माह में जलाभिषेक और पूजा करने के लिए भक्तों की काफी भीड़ जुटती है. यहां शिवलिंग के ठीक बगल में नंदी की प्रतिमा स्थापित है.
सिद्धेश्वरी काली मंदिर
बांस घाट स्थित सिद्धेश्वरी काली मंदिर में भी एक शिवलिंग स्थापित है. शिवलिंग के साथ मां पार्वती, भगवान गणेश की प्रतिमा भी मंदिर में मौजूद है. मंदिर में शिवलिंग सौ वर्ष पूर्व स्थापित किया गया था. शिवलिंग काशी से लाया गया था. यहां सुबह से देर शाम तक शिवभक्तों का आना-जाना लगा रहता है.
महावीर मंदिर
पटना जंक्शन स्थित इस मंदिर में तीन शिवालय हैं. मंदिर में सबसे बड़ा शिवालय प्रथम तल पर शीशाबंद शिवलिंग स्थापित है, जहां भगवान शिव व मां पार्वती की विशाल प्रतिमा है. हनुमान जी के दो विग्रहों वाले गर्भगृह के पास एक शिवलिंग है. वहीं तीसरा शिवालय मंदिर के निचले तल पर है. मंदिर का द्वार सुबह पांच बजे से श्रद्धालु के जलाभिषेक के लिए खुल जाता है.
कंकड़बाग स्थित पंच शिव मंदिर
कंकड़बाग स्थित पंच शिव मंदिर इस इलाके के प्रमुख मंदिरों में से एक है. सावन में जलाभिषेक करने के लिए मंदिर का द्वार सुबह चार बजे से ही शिवभक्तों के लिए खोल दिया जाता है. यहां भगवान शिव का शृंगार कर भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
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