बिहार: बिहार में मानसून ने एकबार फिर से सक्रियता दिखाई है. रविवार से बारिश का सिलसिला अलग-अलग क्षेत्रों में शुरू हुआ है. वहीं एक ओर इस बारिश ने जहां किसानों की उम्मीदों को जिंदा किया है और फसल को लेकर उनकी आश जगी है तो दूसरी ओर बारिश की वजह से नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है. नेपाल के तराई क्षेत्र में हुई बारिश के बाद एकबार फिर से नदियां उफान पर हैं. कोसी समेत कई अन्य नदियों का जलस्तर बढ़ा है।
भागलपुर में पिछले 24 घंटे में एक सेंटीमीटर की वृद्धि के साथ गंगा का जलस्तर स्थिर हो गया है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यह अभी स्थिर रहेगा. बीते 15 दिनों में यह तीसरी बार है, जब गंगा का जलस्तर स्थिर हुआ है. इधर, एक सेंटीमीटर की वृद्धि के साथ गंगा का जलस्तर अधिकतम 31.16 मीटर पर रहा, जो खतरे के निशान से 2.52 मीटर नीचे हैं. खतरे का निशान 33.68 मीटर निर्धारित है।
कटिहार जिले के सभी प्रमुख नदियों के जलस्तर वृद्धि रविवार को वृद्धि जारी रही है. महानंदा नदी का जलस्तर में रविवार को कई स्थानों पर कमी दर्ज की गयी है. इस नदी का जलस्तर झौआ, बहरखाल, आजमनगर, कुर्सेल में घट रही है. जबकि धबोल दुर्गापुर व गोविंदपुर में जलस्तर बढ़ रही है. हालांकि इस नदी के घटते-बढ़ते जलस्तर से कई क्षेत्रों में कटाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. दूसरी तरफ गंगा नदी के जलस्तर में भी वृद्धि दर्ज की गयी है. कोसी व बरंडी का जलस्तर शांत है. गंगा नदी के जल स्तर बढ़ने के बावजूद अधिकांश नदियों का जलस्तर चेतावनी स्तर से अभी नीचे है. हालांकि माना जा रहा है कि अगर जलस्तर में वृद्धि इसी तरह रही तो अगले एक-दो दिन में इन तीनों प्रमुख नदियों का जलस्तर चेतावनी स्तर से ऊपर हो जायेगा. जल स्तर में वृद्धि होने से लोगों के बीच बाढ़ एवं कटाव को लेकर दहशत भी होने लगी है।
नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण सुपौल में कोसी नदी के जलस्तर में पिछले दो दिनों से लगातार वृद्धि हो रही है. कोसी नदी के जलस्तर घटने और बढ़ने के कारण सुपौल प्रभाग के 7.85 व 16.30 किमी स्पर पर हल्की दबाव के कारण कार्य कराये जा रहे हैं. वहीं सहरसा जिला के 117.15 किमी स्पर पर नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण पूर्व के कराये गये एफएफडब्ल्यू सिंक होने के कारण एफएफएफ के अध्यक्ष के निर्देश पर रिपलेसिंग का कार्य कराया जा रहा है. यह जानकारी मुख्य अभियंता कार्यालय से मिली है. वहीं कोसी नदी में पानी बढ़ने के कारण तटबंध के अंदर बसे गांवों के पशुपालकों में पशुचारा को लेकर भारी समस्या उत्पन्न होने लगी है. वहीं पानी के बढ़ते दबाव को देखते हुए रविवार को 19 गेट खोल दिये गये. पशुपालकों को नाव के सहारे तटबंध पर आकर पशु के लिए चारा लेना पड़ रहा है. पशुपालकों ने बताया कि पानी बढ़ने के बाद सबसे अधिक समस्या पशुचारा को लेकर ही होती है।
जलसंसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अशोक कुमार रंजन ने बताया कि टंडसपुर व डुमरिया के पास बने पायलट चैनल के एक्टिवेट होने से डुमरिया में दबाव कम हुआ है. पानी के बढ़ने से धारा के बदलने से बांध पर दबाव कम हो गया है. विभाग के स्तर पर मुकम्मल तैयारी की गयी हैं।
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