पटना: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के ACS केके पाठक के बीच चल रही तनातनी के बीच, सरकार को एक और चुनौती का सामना करना पड़ेगा। 11 और 12 जुलाई को पटना में स्कूली शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन का ऐलान किया है। जिसके लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने शिक्षक संगठन द्वारा दिए गए प्रदर्शन के बारे में आवश्यक कार्रवाई के लिए पटना जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा है।
11-12 जुलाई को ‘घेरा डालो, डेरा डालो’
प्राथमिक शिक्षक संघ ने बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक नियोजन में नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्त नियमावली, 2023 समेत अन्य मांगे शामिल करने के समर्थन में 11-12 जुलाई को दो दिनों के लिए सभी विधायकों के आवास पर ‘घेरा डालो, डेरा डालो’ प्रदर्शन करेंगे। आपको बता दें शिक्षा विभाग ने आंदोलन में भाग लेने वाले शिक्षकों पर 2020 के नियमों के अनुसार आचार संहिता के उल्लंघन के लिए कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
हंगामेदार होगा मानसून सत्र
प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने शुक्रवार को सभी क्षेत्रीय उप निदेशकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा था कि यदि शिक्षक आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं और यह प्रकाश में आता है, तो तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि शिक्षक शिक्षा विभाग के कार्यालयों के सामने प्रदर्शन का सहारा लेते हैं, तो इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए।
बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र 10 जुलाई से शुरू हो रहा है और शिक्षा विभाग गलत कारणों से सुर्खियों में है, भाजपा पहले से ही सरकार को घेरने के मौके को भुनाने की तैयारी कर रही है। पिछले सप्ताह डोमिसाइल नीति को हटाने के खिलाफ पटना में शिक्षक अभ्यर्थियों का प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसके बाद मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को स्पष्टीकरण देना पड़ा कि डोमिसाइल नीति हटा दी गई है, क्योंकि यह कानूनी रूप से मान्य नहीं है।
मंत्री-अफसर विवाद पर सियासत तेज
वहीं इस मामले पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि शिक्षा और कानून-व्यवस्था जनता अहम मुद्दे हैं। उन्होने कहा कि राज्य में शिक्षा किस तरह बर्बाद हो गई है, यह सबके सामने है। शिक्षा के क्षेत्र में जो अव्यवस्था पैदा की है, उसका जवाब सरकार को सदन में देना होगा. शिक्षक और छात्र पीड़ित हैं, जबकि विभाग में उथल-पुथल है और मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए सपने देखने में व्यस्त हैं। और अपने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं।
दूसरी ओर, जद-यू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सरकार सदन में किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार नहीं होगी, लेकिनअपने द्वारा फैलाई गई अराजकता का जवाब देने के लिए बीजेपी को बहुत कुछ करना होगा। बेरोजगारी और महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं पर चर्चा से बचने के लिए ऐसी राजनीति की जा रही है। ऐसे में मानसून सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं।
पटना HC का भर्ती पर रोक से इंकार
वहीं पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो नए नियमों के तहत बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित की जा रही है। मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 22 अगस्त तय की है। लगभग 1.65 लाख शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं अगस्त में चार चरणों में निर्धारित हैं। और 27 अगस्त को समाप्त होंगी। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 12 जुलाई है।
मांगों के समर्थन में प्रदर्शन
पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से 2006 से नियुक्त लगभग 4-लाख कार्यरत शिक्षक बिना किसी परीक्षा के सरकारी कर्मचारी का दर्जा चाहते हैं। इसके पीछे की वजह है कि वो 16 सालों से सेवा कर रहे हैं और इस अवधि के दौरान कई परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं। दूसरी ओर, सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नए नियम केवल नई नियुक्तियों पर लागू होंगे और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
11-12 जुलाई को होने प्रदर्शन में सभी शिक्षक शामिल होंगे। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि हम अपनी मांग के समर्थन में इसे जारी रखेंगे। शिक्षकों के बीच भेदभाव करना नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है। आखिर 2006 से कार्यरत शिक्षकों की नियुक्ति सरकार ने तत्कालीन नीतियों के तहत ही की है। शिक्षक अनुभव के साथ बेहतर होते जाते हैं और यहां बेहतर लोगों को अपमानित किया जा रहा है।
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