पटना: बिहार की राजधानी पटना में विपक्ष के 15 राजनीतिक दलों के नेताओं ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके दल बीजेपी को कड़ी चुनौती देने के मकसद से शुक्रवार को साझा रणनीति पर मंथन किया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में यह बैठक मुख्यमंत्री आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई, जिसमें 30 से अधिक विपक्षी नेताओं ने भाग लिया। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने कहा कि विपक्षी दलों की इस बैठक में एकसाथ चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है। बहुत जल्द एक और बैठक होगी जिसमें बाकी चीजों पर फैसला हो जाएगा। राज्यों में जिनके साथ जो समस्या आएगी, उसमें सब साथ रहेंगे।
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि 10 या 12 जुलाई को हिमाचल प्रदेश (शिमला) में एक और बैठक होगी, तारीख आगे-पीछे हो सकती है। उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक सभी नेता एक होकर आगे चुनाव लड़ने की कॉमन एजेंडा तैयार कर रहे हैं। हर राज्य में अलग अलग ढंग से काम करना होगा। तमिलनाडु में क्या होना है, बिहार में क्या होना है, कश्मीर में क्या होना है, यूपी में क्या होना है, महाराष्ट्र में क्या होना है, सबका अलग स्ट्रैटजी बनाकर काम करेंगे। एकजुट होकर 2024 की लड़ाई हमको लड़ना है और बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि नीतीश कुमार ने लिट्टी-चोखा और गुलाब जामुन समेत बिहार के सारे लजीज व्यंजन हमें खिलाए, जिसके लिए उनका धन्यवाद। राहुल ने आगे कहा कि ये विचारधारा की लड़ाई है और हम सभी साथ हैं। हिंदुस्तान की नींव पर आक्रमण हो रहा है। बीजेपी और RSS आक्रमण कर रहे हैं। हम में थोड़े-थोड़े मतभेद होंगे, लेकिन मिलकर काम करेंगे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पटना से जो शुरू होता है, वो एक जनआंदोलन बनता है। इसलिए मैंने नीतीश कुमार जी को पटना से शुरू करने के लिए कहा था। ममता ने आगे कहा कि तीन बातें हुई हैं। हम एक हैं और एक साथ लड़ेंगे। हमको विपक्ष मत बोले, हम भी देशप्रेमी हैं और हम भी भारत माता की जय कहते हैं। ममता बनर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी की तानाशाही सरकार चल रही है, अत्याचार चल रहा है, निर्वाचित सरकार के सामने राजभवन को अल्टरनेटिव गर्वमेंट बना दिया है। कोई बोलता है तो उसके खिलाफ सीबीआई और ईडी लगा देता है। ममता ने कहा कि छुपे रुस्तम की तरह वकीलों को कोर्ट में भेजकर सीबीआई, ईडी से केस करवाता है। लोगों का कहना है कि ये लोग चुनाव में फिर से आ गए तो फिर देश में चुनाव नहीं होगा।
वहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर लोकतंत्र, सेकुलरिज्म पर हमले की प्रयोगशाला है और अब देश में वही हो रहा है। महात्मा गांधी के मुल्क को गोडसे का मुल्क नहीं बनने देंगे।
विपक्ष दलों की महाबैठक में ये नेता हुए शामिल
विपक्षी दलों की इस महाबैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में भाग लिया। द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेता शामिल हुए।
इस बीच सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार विपक्षी एकता की बैठक के दौरान नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता की बैठक के दौरान सभी राजनीतिक दलों से महत्वाकांक्षा छोड़ने की अपील की। वहीं अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली अध्यादेश का मसला बैठक में उठाया। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने अध्यादेश मामले को लेकर केजरीवाल को समर्थन देने की अपील की। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल से धारा 370 के खात्मे पर रुख साफ करने की अपील की।
बैठक से पहले राहुल गांधी ने दावा किया कि विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को हराएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश में कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ वाली विचारधारा और भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ‘भारत तोड़ो’ वाली विचारधारा के बीच लड़ाई है तथा इस लड़ाई में ‘भारत तोड़ने’ वालों को हराया जाएगा। खरगे ने कहा कि विपक्षी दल एकजुट होकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में कहा कि हम सभी विपक्ष की पार्टियों को एक होना है और 2024 के चुनाव में मिलकर लड़ना है। इसी के तहत राहुल गांधी ने पहला कदम उठाया है। हमने सोचा है कि सभी पार्टियों के नेताओं से मिलकर बात करेंगे और आगे मिलकर कदम उठाएंगे। हमें लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए साथ मिलकर लड़ना होगा।
बैठक से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी और एनडीए के खिलाफ विपक्षी नेता एक परिवार की तरह एकजुट होकर लड़ेंगे। उधर, आम आदमी पार्टी (आप) के इस रुख से विपक्षी एकजुटता की कवायद पर मतभेदों का साया पड़ गया कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ उसे समर्थन देने का वादा नहीं किया तो ‘आप’ शुक्रवार को पटना में होने वाली बैठक से बाहर हो जाएगी।
इस बैठक में केजरीवाल के राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा के लिए जोर देने पर निगाहें टिकी होंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह केंद्र सरकार द्वारा इस अध्यादेश को संसद में पेश किए जाने पर ‘आप’ का समर्थन करेगी या नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने हालांकि कहा कि इस अध्यादेश को लेकर फैसला संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले किया जाएगा। विपक्षी दलों की यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब उनमें आपसी मनमुटाव की खबरें भी सामने आई हैं।
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