बिहार: ना लगन पत्रिका मिलने का झमेला, ना शुभ मु्हुर्त का चक्कर. ना लाखों का खर्चा, ना रिश्तेदारों की झिकझिक… बिन फेरे हम तेरे…, बिहार में ये ट्रेंड काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है। अब बिहार के युवा कोर्ट मैरिज में ज्यादा भरोसा कर रहे हैं. .तीन गवाहों के साथ कोर्ट गए और शादी कर ली, युवाओं को ये तरीका खूब पसंद आ रहा है. आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना काल के बाद साल 2022 में विवाह पंजीकरण के कुल 1,212 आवेदन आए हैं।
बीते साल की तुलना में इस साल कोर्ट मैरिज का चलन और ज्यादा देखने को मिल रहा है. आंकड़ों के हिसाब से साल 2023 में 18 जून तक प्राप्त हुए आवेदन की संख्या में बीते साल की तुलना में काफी ज्यादा हैं. इस साल अब तक विवाह पंजीकरण के कुल 566 आवेदन और विवाहपूर्व पंजीकरण के 717 आवेदन प्राप्त हुए है. वहीं पिछले साल विवाह पंजीकरण के कुल 1,212 आवेदन आए हैं. विवाह पूर्व पंजीकरण के कुल 1,439 आवेदन को पंजीकृत किया गया है।
क्यों बढ़ा कोर्ट मैरिज का चलन?
आम तौर पर लव मैरिज करने वाले ही कोर्ट मैरिज करते हैं. लेकिन बीते कुछ वर्षों से बिहार सरकार की ओर से अंतरजातीय विवाह को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े को सरकार की ओर से 2 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसके लिए उन्हें विवाह के साल भर के अंदर सामाजिक कल्याण विभाग को आवेदन देना होता है. कोर्ट मैरिज बढ़ने का ये एक कारण भी है. समाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए अंतरजातीय विवाह करने वाले भी कोर्ट मैरिज का ही रास्ता चुनते हैं।
कोर्ट मैरिज करने वाले यदि कानूनों का पालन नहीं करते तो उनकी शादी तक खारिज हो सकती है. यदि किसी को विवाह प्रस्ताव पर आपत्ति हो तो 100 रुपये शुल्क के साथ आपत्ति जता सकते हैं लेकिन आपत्ति जताने वाले को अपने आवेदन का औचित्य साबित करना होगा. उदाहरण के तौर पर यदि उम्र को लेकर आपत्ति की गयी है तो इसका प्रमाण देना होगा. यदि वर्जित संबंध यानी जिनका विवाह हिंदू में संभव नहीं को लेकर आपत्ति है तो इसे भी साबित करना होगा. ऐसी स्थिति में सक्षम प्रमाण पर विवाह रोका जा सकता है.
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