पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर अभी लंबा समय बचा है लेकिन बीजेपी में सीएम फेस को लेकर अभी से माथापच्ची शुरू हो गई है। प्रदेश बीजेपी के कई नेता अपने-अपने स्तर पर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जता चुके हैं। इस बीच बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के संस्कार वाला व्यक्ति ही बिहार का अगला मुख्यमंत्री होगा। राजनीतिक गलियारों में इसपर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। सम्राट चौधरी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से उन्हें सीएम कैंडिडेट बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि से नहीं हैं। इसके अलावा सुशील मोदी, गिरिराज सिंह और राजीव प्रताप रूढ़ी के नाम भी बीजेपी के सीएम फेस को लेकर उछल चुके हैं।
नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में बीजेपी का सीएम कैंडिडेट आरएसएस के संस्कार वाला शख्स ही होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सम्राट चौधरी से उनका कोई मनमुटाव नहीं है। साथ ही, आरसीपी सिंह के बीजेपी में आने से भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। सिन्हा ने कहा कि बिहार में सभी समीकरण टूटेंगे और सब जाति, धर्म, क्षेत्र को साथ में लेकर बीजेपी देश में फिर से अपनी सरकार बनाएगी। पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
दूसरी ओर, सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से उनके सीएम कैंडिडेट बनने की चर्चा जोरों पर है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जब पहली बार वे बेगूसराय गए, तो उनके सम्मान समारोह में गिरिराज सिंह ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बता दिया। यहां तक कि गिरिराज ने सभा में बिहार का सीएम कैसा हो, सम्राट चौधरी जैसा हो के नारे भी लगवा दिए। इसके अलावा पटना में सम्राट चौधरी के समर्थकों ने पोस्टर लगवाकर बिहार का योगी और अगला मुख्यमंत्री बताया।
सम्राट चौधरी की जमीन आरएसएस वाली नहीं
दरअसल, बीजेपी में बड़े पदों पर बैठे अधिकतर नेताओं की पृष्ठभूमि आरएसएस की होती है। मगर, सम्राट चौधरी के मामले में ऐसा नहीं है। सम्राट ने अपनी राजनीति की शुरुआत लालू प्रसाद यादव की आरजेडी से की थी। राबड़ी देवी सरकार में वे मंत्री भी रह चुके हैं। बाद में वे बीजेपी में आ गए और अपनी काबिलियत के चलते तेजी से आगे बढ़ते गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका पूर्व में कोई संबंध नहीं है। हालांकि, वे कुशवाहा जाति से आते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी इसी वोटबैंक को केंद्र में रखकर राजनीति करती है। ऐसे में सीएम नीतीश के खिलाफ सम्राट को एक मजबूत चेहरा बनकर उभर सकते हैं।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने यह बयान देकर खुद को सीएम कैंडिडेट की रेस में शामिल कर लिया है। दरअसल, वे आरएसएस के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। स्वयंसेवक से विधायक बने और फिर विधानसभा स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचे। नीतीश कुमार ने पिछले साल जब बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन की सरकार बनाई तो, सिन्हा को स्पीकर पद छोड़ना पड़ा। फिर पार्टी ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बना दिया। विजय सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं और कई सीटों पर यह वोटबैंक एक पार्टी की जीत-हार पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है।

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