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बिहार: चमकी बुखार से बचाव के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगा लोगों को किया जागरूक

बिहार: अप्रैल से जुलाई तक तेज गर्मी के मौसम में बच्चों में चमकी, मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। इससे बचाव के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। वहीं बच्चों को चमकी के प्रभाव से सुरक्षित करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर महादलित टोलों में चौपाल लगाकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मी बच्चों व आम लोगों के बीच हैंडबिल बाँटते हुए चमकी के लक्षण को पहचानने की एवं उससे बचाव हेतु जागरूक कर रहे है। ताकि बच्चे चमकी के प्रभाव से बचें। यह कहना है जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे का। उन्होंने बताया कि चमकी से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि बच्चों को तेज धूप से बचाएं। खाली पेट न सुलाएं, साथ ही सुबह जगायें। माता- पिता बच्चों का ध्यान रखें। वहीं  चमकी का लक्षण दिखे तो बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आयें। बिल्कुल भी देरी न करें, अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुँचें।आने जाने का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा।

मेडिकल टीम है तैयार:

सीएस डॉ दुबे ने कहा कि जिला के सभी पीएचसी प्रभारी को मेडिकल टीमों के साथ अलर्ट रहने को कहा गया है। साथ ही दवाओं एवं सभी आवश्यक मेडिकल उपकरणों को दुरुस्त रखने का निर्देश दिया गया है। साथ ही जिले की जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सो को एईएस के बारे में लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगाकर फैलाई जा रही जागरूकता:

भीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि – ग्रामीण क्षेत्रों, महादलित टोलों में स्वास्थ्य कर्मीयों के सहयोग से चौपाल लगाकर, हैंडबिल बाँट कर महिलाओं व बच्चों को चमकी से बचाव के गुर बताए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य केन्द्रों को ओआरएस के पाउडर व पैरासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लोगों को जागरूक करने के बाद एवं इलाज व्यवस्था के सुचारू होने से इसके मामलों में कमी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।

एईएस से बचने हेतु सावधानियां:

– बच्चे बेवजह धूप में घर से न निकलें ,
– गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पैरासिटामोल की गोली या सीरप दें।

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