पटना: हिंदी महीने के चैत नववर्ष का प्रारंभ हो जाता है। होली के बाद चैत के प्रारंभ होते ही हर गांव में इन दिनों पारंपरिक गीत चैतार यानी चैता गायन से लोग सराबोर होते हैं। इस गायन में लोग झाल मंजीरे ढोलक की थाप पर झूमते हैं।
चैत महीने में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था और यह पूरा शृंगार रस और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। चैती गायन एक ऐसा लोकगीत है जो हर गांव में चैत महीने के प्रारंभ होने पर गायन होता है।
कई गांवो में शाम ढलते ही हर गांव में लोग देर रात तक भगवान श्रीराम का आह्वान करते हैं. उनके जन्म से लेकर शादी तक का गीतों को जोड़कर गाते हैं. बताया जाता है कि कहीं भी चले जाइए हर गांव में चले जाइए यह चैता गायन शुरू होता है. वही कहीं-कहीं लौंडा नाच की परंपरा रही है।
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