पटना: बिहार में शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर नफरती ग्रंथ बयान देकर घमासान मचा रखा है। सहयोगी जदयू की आलोचना के बाद भी वे अपने बयान पर अडिग है। लेकिन शिक्षा मंत्री को यह नहीं पता है कि बिहार में शिक्षा की स्थिति कितनी बदहाल है। शायद उनके पास इसके लिए समय भी नहीं है। इसकी पोल तब खुली जब राज्य भर में इंटर प्रैक्टिकल की परीक्षा में छात्र-छात्राओं ने कुछ सवाल पूछे।
सर, माइक्रोस्कोप क्या होता है, मैंने कभी देखा नहीं है। हमसे कभी प्रयोग नहीं करवाया गया। प्रायोगिक कक्षाएं कभी हुई नहीं। परखनली का नाम तो सुना है, लेकिन कभी देखा नहीं। किताब में फोटो देखी है। लेंस से कैसे देखते हैं… ये तमाम सवाल उन परीक्षार्थियों के हैं जो इन दिनों इंटर प्रायोगिक परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रायोगिक परीक्षा लेने जा रहे शिक्षक जब छात्रों से प्रश्न पूछते हैं तो अधिकतर आसान प्रश्नों का भी जवाब नहीं दे पा रहे। प्रयोग के लिए छात्रों को एक-दो एक्सपेरिमेंट लिखने को कहा जा रहा है तो छात्र वो उत्तर भी नहीं लिख पा रहे हैं।
यह स्थिति एक स्कूल की नहीं बल्कि सैकड़ों स्कूलों की है। सभी स्कूल में प्रायोगिक परीक्षाएं चल रही हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत छात्रों को उत्तर देने व एक्सपेरिमेंट लिखने में हो रही है। बिहार बोर्ड की मानें तो इंटर प्रायोगिक परीक्षा 10 से शुरू हुई है व 20 जनवरी तक चलेगी। इस बीच स्कूलों को प्रायोगिक परीक्षा ले लेनी है। छात्रों के प्राप्त अंक, बोर्ड को भेजना है।
कभी नहीं हुईं प्रायोगिक कक्षाएं, छात्र-छात्राओं को पता नहीं कि…
- लेंस क्या होता हैं, माइक्रोस्कोप कैसा दिखता है, इस पर कैसे प्रयोग करते हैं
- लिटमस पेपर देखने में कैसा होता है
- परखनली से क्या करते हैं
- लेंस का उपयोग किस चीज के लिए होता है
- प्रदार्थ से क्या समझते हैं
शिक्षकों ने छात्रों को नहीं करवायी उपकरणों की पहचान
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद और राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा कई बार विज्ञान के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें उन्हें विज्ञान की कक्षाएं और प्रयोग करने के तरीकों को बताया गया। शिक्षकों ने प्रशिक्षण तो ले लिया, लेकिन छात्रों को प्रयोगशाला में ले जाकर उपकरणों की पहचान नहीं करवायी। एससीईआरटी की मानें तो राज्यभर के पांच हजार से अधिक विज्ञान शिक्षकों को वर्ष 2022 में प्रशिक्षण दिया गया था।
छात्र आसान प्रश्नों का भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं
पटना के डीईओ अमित कुमार ने बताया कि राजधानी के कुछ स्कूलों में आईआईटी पटना द्वारा लैब उपकरण देने की बात हुई है। इससे इन स्कूलों में प्रयोगशाला बेहतर होंगी और प्रायोगिक कक्षाएं भी चलेंगी। अभी ये प्रक्रियाधीन है। प्रयोगशाला की कक्षाएं बहुत ही जरूरी है। तभी बच्चे सही से जान पाएंगे।
शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर यह बताएंगे कि यह स्थिति बिहार में कब बदलेगी? कब स्कूलों में पढ़ाई होगी? इस हालात के लिए कौन जिम्मेदार है और उनपर क्या कार्रवाई होगी? ये सवाल शायद शिक्षा मंत्री को सुनाई नहीं दे रहे। इसी वजह से वे शैक्षणिक व्यवस्था को सुधारने के बजाए धार्मिक ग्रंथों से कचड़ा निकालने में लगे हैं।
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