पटना: जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ही नेता नीतीश कुमार पर इशारों-इशारों में हमला बोल दिया है। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के निध’न पर बिना नाम लिए सीएम नीतीश और आरजेडी सुप्रीम लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा। इससे राजनीतिक गलियारे में चर्चा का दौर शुरू हो गया है कि कुशवाहा सीएम नीतीश से नाराज चल रहे हैं और उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाए जाने के फैसले से यह नाराजगी और बढ़ गई है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में वे फिर से अपनी राह जेडीयू से अलग कर सकते हैं।
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा के पिछले कुछ बयानों से साफ झलक रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं से उनकी खटपट चल रही है। शरद यादव के नि’धन पर शोक जताते हुए उन्होंने शुक्रवार को बगैर नाम लिए अपनी ही पार्टी जेडीयू और सहयोगी आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व पर प्रहार कर दिया। कुशवाहा ने कहा कि जिस शरद यादव ने देश में कई नेताओं को राजनीति के शिखर पर पहुंचाया, उन्होंने आखिरी वक्त में उनसे मुंह मोड़ लिया था। भगवान ऐसा अंत किसी को न दें। उनका सीधा इशारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की ओर था।
डिप्टी सीएम नहीं बनाए जाने से नाराज हैं उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा के हालिया बयान से बिहार के सियासी हलके में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। नीतीश कैबिनेट का खरमास के बाद विस्तार होना है। पिछले दिनों चर्चा चली थी कि कुशवाहा को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। जब उनसे पूछा गया तो कहा कि वे कोई संन्यासी नहीं हैं और किसी मठ में नहीं बैठे हैं। उन्होंने इशारों-इशारों में उपमुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर ली थी।
हालांकि, इसके बाद जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यही सवाल किया गया तो, उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को डिप्टी सीएम बनाए जाने की अटकलों को खारिज कर दिया। सीएम ने कहा कि जेडीयू से कोई भी डिप्टी सीएम नहीं बनने जा रहा है, आगामी कैबिनेट विस्तार में सिर्फ कांग्रेस और आरजेडी से नए मंत्री बनेंगे। दिसम्बर में उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में लागू शरा’बबंदी पर भी यह कहकर सवाल उठाया था कि यह निचले स्तर के कर्मियों तथा अधिकारियों की वजह से फेल है।
उपेंद्र कुशवाहा की जुदा हो सकती है राह?
अब चर्चा ये है कि उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू से अलग होकर फिर से अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। उनके बीजेपी में जाने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। अगर लोकसभा चुनाव 2022 से पहले वे जेडीयू से अलग होते हैं तो महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है। 2007 में जेडीयू से निकाले जाने के बाद कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई थी। हालांकि, 2021 में वे वापस नीतीश कुमार के साथ आ गए और उन्हें जेडीयू का संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।
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