बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार से नयी यात्रा पर निकलने जा रहे हैं. सरकार ने उनकी यात्रा का नाम दिया है-समाधान यात्रा। 4 जनवरी से पश्चिम चंपारण जिले से नीतीश कुमार के समाधान यात्रा की शुरूआत होगी। सरकार ने आज पूरी यात्रा का कार्यक्रम जारी कर दिया है। इसके बाद बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या नीतीश कुमार को पब्लिक यानि आम लोगों से डर लगने लगा है। नीतीश की पूरी समाधान यात्रा में जनसभा या आम लोगों से मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है।
खास लोगों से खास मुलाकात
बिहार सरकार के कैबिनेट विभाग द्वारा जारी पत्र के मुताबिक नीतीश कुमार 4 जनवरी से लेकर 7 फरवरी तक राज्य में समाधान यात्रा पर निकलेंगे. इस सरकारी पत्र में ये भी बताया गया है कि नीतीश कुमार अपनी समाधान यात्रा के तहत तीन काम करेंगे. वे सरकारी योजना से संबंधित क्षेत्र भ्रमण करेंगे. उसके बाद चिन्हित यानि सेलेक्टेड समूहों के साथ बैठक करेंगे और फिर सरकारी अधिकारियों के साथ जिला स्तरीय समीक्षा बैठक होगी।
ये कैसी यात्रा
नीतीश कुमार की समाधान यात्रा का सामान्य अर्थ ये निकलता है कि वे लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगे। लेकिन पूरी यात्रा में वे आम लोगों से कोई बात-मुलाकात ही नहीं करेंगे. सरकारी पत्र के मुताबिक नीतीश कुमार का आम लोगों से मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है. हां, हरेक जिले के जिलाधिकारियों को ये खास तौर पर कहा गया है कि वे सुरक्षा और दूसरी व्यवस्थाओं का इंतजाम करेंगे. मतलब बिहार के मुख्यमंत्री सैकड़ों पुलिसकर्मियों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में उन सरकारी काम को देखने जायेंगे जिसकी जानकारी पहले से ही प्रशासन को होगी. प्रशासनिक औऱ पुलिस घेरे में वे उस काम को देखेंगे।
सांसद-विधायक को भी न्योता नहीं
उसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री चिन्हित समूहों के साथ बैठक करेंगे. वैसे समूह जिन्हें स्थानीय प्रशासन या सरकार ने सेलेक्ट किया हो. आखिर में सरकारी अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक होगी. इस बैठक में जिले से लेकर पटना तक के सरकारी अधिकारी मौजूद रहेंगे. मुख्यमंत्री जिस जिले में जायेंगे वहां के प्रभारी मंत्री औऱ उस जिले के निवासी मंत्री को बैठक में आने का न्योता दिया जायेगा. लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि स्थानीय सांसद, विधायक और विधान पार्षदों को भी मुख्यमंत्री के समाधान यात्रा का न्योता नहीं दिया जायेगा।
राज्य सरकार ने यात्रा को लेकर जो पत्र निकाला है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में स्थानीय सांसद, स्थानीय विधायक और विधान पार्षद स्वेच्छा से भाग ले सकेंगे. मतलब उन्हें कोई न्योता नहीं दिया जायेगा. खास बात ये भी है कि स्थानीय सांसद, विधायक या विधान पार्षद अगर कोई मुद्दा उठायेंगे तो उसका नोटिस भी नहीं लिया जायेगा. सरकार ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री उन्हीं बिंदुओं पर समीक्षा करेंगे जो पहले से निर्धारित होंगे।
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